हिन्दू मंदिरों का व्यवस्थापन हिन्दुओं को सौंपें ! – ग्लोबल हिन्दू हैरिटेज फाऊंडेशन

प्रकाशराव वेलागपुडी

भाग्यनगर (तेलंगाना) – हिन्दू मंदिरों की सुरक्षा करने तथा उन्हें चर्च एवं मस्जिदों के समान ही सुविधा देने, धर्मादाय कानून निरस्त करने तथा हिन्दुओं को उनके मंदिरों का व्यवस्थापन करने की अनुमति देने की मांग ‘ग्लोबल हिन्दू हेरिटेज फाऊंडेशन’ के मंच से विविध हिन्दुत्वनिष्ठोंने की । इस संगठन की ओर से भाग्यनगर में सोमाजीगुडा के पत्रकार कक्ष में यह पत्रकार परिषद आयोजित कि गई थी । इस अवसर पर अनेक हिन्दुत्वनिष्ठोंने कहा कि ‘सनातन धर्म का पालन, संवर्धन तथा सुरक्षा करने हेतु हम शपथ लेते हैं’ ।

१. आंध्रप्रदेश के भूतपूव मुख्य सचिव श्री. एल्. वी. सुब्रह्मण्यम् न हिन्दू मंदिरेों का व्यवस्थापन करने की सरकार की क्षमता के विषय में संदेह व्यक्त किया एवं कहा कि अनेक धर्मनिरपेक्षतावादी, नास्तिक तथा श्रद्धाविहीन, जिन्हें हिन्दू धर्म के मूलभूत तत्व ज्ञात नहीं, वे मंदिर व्यवस्थापन से संबंधित सरकारी पदों पर हैं । उन्होंने प्रश्न उपस्थित करते हुए कहा कि यदि इस प्रकार के लोग हिन्दुओं के मंदिर चलाते हैं, तो इन मंदिरों का भविष्य क्या होगा ?

२. ‘सी.बी.आइ’ के भूतपूर्व महासंचालक एम्. नागेश्वरराव ने कहा, ‘‘मैंने ‘सनातन धर्मरक्षा मंडल’ इस संकल्पना का विरोध किया; क्योंकि यह मंडल कैसे कार्य करेगा तथा कैसा आकार लेगा, यह कहना असंभव है’’।

३. भगवद्गीता संस्था के संस्थापक श्री. एल्.वी गंगाधर शास्त्री ने भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूपमें मान्यता देने की मांग की ।

४. वैदिक विद्वान श्री. रेमेल्ला अवधानुलु ने हिन्दू धर्म के संवर्धन का महत्त्व विशद किया ।

५. हिन्दू समाज काे डरानेवाली व्यावहारिक समस्याएं तथा अपने मंदिरों के संवर्धन हेतु हिन्दुओं को कैसे प्रेरित होना चाहिए, इस विषय में पंकज श्रीनिवासन् ने भाष्य किया ।

६. प्रकाशराव वेलागपुडी ने बताया कि उन्हाेंने राज्य के मुख्ययमंत्री, धर्मादाय मंत्री, तिरुपति तिरुमला विश्वस्त मंडल के अध्यक्ष, कार्यकारी अधिकारी तथा अन्य लोगों को अनेक पत्र लिख कर कुछ हिन्दू विरोधी निर्णयों पर तथा अहिन्दुओं का देवस्थान मंडलों पर जो वर्चस्व था, उस विषय में क्रोध व्यक्त किया है ।

संपादकीय भूमिका 

गत अनेक वषो से हिन्दुओं की ओरसे ऐसी मांग हो रही है । अब तो सरकार को इस पर ध्यान देकर मंदिर सरकारीकरण का कानून निरस्त करना चाहिए, हिन्दुओं को ऐसा ही प्रतीत होता है !