Gyanvapi Case Supreme Court Notice : ज्ञानवापी प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुसलमान पक्ष को सूचना

हिन्दू पक्ष की ओर से सभी १५ प्रकरण उच्च न्यायालय में वर्ग करने की मांग

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – ज्ञानवापी से संबंधित सभी १५ अभियोग इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वर्ग करें, जिससे उनकी एकत्रित सुनवाई होगी । हिन्दू पक्ष द्वारा की गई इस मांग पर सर्वोच्च न्यायालय ने मुसलमान पक्ष को सूचना भेजी है । न्यायालय ने मुसलमान पक्ष को २ सप्ताह में उत्तर देने को कहा है । ज्ञानवापी से संबंधित ९ अभियोग वाराणसी जिला न्यायालय तथा ६ अभियोग दीवानी न्यायालय में चल रहे हैं । कुछ पुनर्विलोकन याचिकाएं जिला न्यायाधीश के सामने भी हैं, जबकि जिला न्यायाधीश भी मूल अभियोग पर सुनवाई कर रहे हैं । ऐसी स्थिति में परस्परविरोधी आदेश आने की संभावना है । इसलिए सभी अभियोग इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वर्ग करें । उच्च न्यायालय के ३ न्यायमूर्ति के खंडपीठ द्वारा सभी प्रकरणों की सुनवाई कर निर्णय देने की मांग इस याचिका में की गई थी । याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन १५ प्रकरणों में कानून के महत्त्वपूर्ण प्रश्न भी हैं, जिनका निर्णय बडे न्यायालय को ही देना चाहिए । इन प्रश्नों में ऐतिहासिक सार, पुरातत्व विभाग से संबंधित प्रश्न, हिन्दू एवं मुसलमान कानून तथा राज्यघटना की धारा ‘३०० अ’ का अर्थ समान प्रश्न भी सम्मिलित हैं । इसलिए इन प्रकरणों की सुनवाई उच्च न्यायालय में होनी चाहिए ।

ज्ञानवापी के १२ तलघरों में ८ तलघरों का अब तक सर्वेक्षण नहीं हुआ है ! – अधिवक्ता मदन मोहन यादव

अधिवक्ता मदन मोहन यादव

हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा कि हिन्दुओं की ओरसे यह प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में गया है । पुरातत्व विभाग ने वजूखाना (नमाज से पूर्व हाथ-पांव धोने का स्थान) की शिवलिंग का अब तक सर्वेक्षण नहीं किया है । इससे वह शिवलिंग है अथवा फ‍व्वारा, यह स्पष्ट होगा । मुसलमान पक्ष फ‍व्वारा होनेे का दावा करता है । पुरातत्व विभाग द्वारा ज्ञानवापी के १२ तलघरों में ८ तलघर का अब तक सर्वेक्षण नहीं किया गया है । साथही प्रमुख गुंंबज के नीचे स्थित ज्योतिर्लिंग का भी सर्वेक्षण नहीं किया गया है ।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमने १६ मई, २०२२ को दावा किया था कि तथाकथित वजूखाना में एक शिवलिंग पाया गया है; परंतु मुसलमान पक्ष ने उसे अस्वीकार किया तथा कहा कि वह फव्वारा है । यह ध्यानमें लेकर हमने पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण करने की मांग की थी । इस प्रकरण में हमने अब मुसलमान पक्ष कोे सूचना (नोटिस ) भेजी है ।