मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने में बाधाएं न लाने का भी आदेश दिया
अमरावती (आंध्र प्रदेश) – आंध्र प्रदेश धर्मार्थ और हिन्दू धार्मिक संस्थान अधिनियम, १९८७ की धारा १३ (ए) के अंतर्गत , आंध्र प्रदेश सरकार ने ‘वैदिक परम्पराओं के विषय में मंदिरों को स्वायत्तता सुनिश्चित करने और बनाए रखने में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करने’ का आदेश दिया है। मंदिर की परंपराओं और पद्धतियों की पवित्रता बनाए रखने के आदेश सभी शासकीय विभाग प्रमुखों को दिए गए हैं । सरकार ने इस आदेश का अनुपालन करने और उस पर एक अनुपालन आलेख प्रस्तुत करने को भी कहा है।
१. मंदिरों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाले आयुक्त, संभागीय संयुक्त आयुक्त, उपायुक्त या सहायक आयुक्त सहित कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मंदिरों की वैदिक परंपराओं और पद्धतियों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
२. मंदिरों में देवताओं के धार्मिक अनुष्ठानों, सेवाओं, कुंभाभिषेकम और अन्य धार्मिक उत्सवों के संबंध में निर्णय लेते समय मंदिरों के वरिष्ठ पुजारियों और धार्मिक सेवकों के मत को ध्यान में रखा जाना चाहिए। यदि इसके लिए आवश्यक समझा जाए तो कार्यकारी अधिकारी वरिष्ठ पुजारियों और धार्मिक सेवकों की एक वैदिक समिति का गठन कर सकते हैं। यदि इस संबंध में कोई मतभेद है तो पीठाधीश के मत पर विचार किया जा सकता है।
३. कार्यकारी अधिकारियों को देवी-देवताओं की सेवा और धार्मिक अनुष्ठानों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। आदेश में यह भी कहा गया कि धर्मार्थ विभाग के आयुक्त इस विषय में आवश्यक कार्रवाई करें।