हिंदू सेना की ओर से अजमेर (राजस्थान) जिला न्यायालय में याचिका !
अजमेर (राजस्थान) – अजमेर जिला न्यायालय में यहां के प्रसिद्ध मोईनुद्दिन चिश्ती दरगाह के विरोध में दीवानी अभियोग प्रविष्ट (दाखिल) किया गया है । ‘अजमेर दरगाह शिवमंदिर है तथा इस मंदिर पर कब्जा कर वहां दरगाह का निर्माणकार्य किया गया है । दरगाह समिति को उस भूमि पर का अतिक्रमण हटाने के निर्देश देने, यह स्थान भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर के रूपमें घोषित करने तथा मंदिर केे पुनर्निर्माण हेतु केंद्र सरकार को सूचना देने की मांगें की गई हैं । हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने यह याचिका प्रविष्ट (दाखिल) की है ।
१. याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दरगाह का सर्वेक्षण करने हेतु निर्देश देने की विनती की गई है । मुख्य प्रवेशद्वार की छत की रचना हिंदू रचनापद्धति समान है । इससे सिद्ध होता है कि यह मंदिर है ।
२. याचिका में आगे कहा गया है कि इन छतों की सामग्री तथा शैली उनका हिंदू मूल स्पष्ट रूप से दर्शाती है । दुर्भाग्य से रंग तथा अन्य प्रक्रिया के कारण उसका उत्कृष्ट खुदाई का काम छिपाया गया है । यदि यह रंग निकाल दिया जाए, तो वास्तव सामने आने की संभावना है । यहां के तलघर में गर्भगृह है ।
३. विष्णु गुप्ता ने याचिका में कहा है कि ‘अजमेर दरगाह का निर्माणकार्य रिक्त भूमि पर किया गया था’, यह दर्शानेावाली कोई टिप्पणी उपलब्ध नही है । इसके स्थान पर ऐतिहासिक ब्यौरों से सूचित होता है कि वहां महादेव मंदिर तथा जैन मंदिर थे एवं हिंदू तथा जैन श्रद्धालु अपने देवी-देवताओं की पूजा करते थे । यहां हिंदू भगवान शंकर का जलाभिषेक करते थे ।
४. इस याचिका में अजमेर के निवासी हरविलास शारदा द्वारा वर्ष १९११ में लिखित ‘ऐतिहासिक तथा वर्णनात्मक’ पुस्तक का संदर्भ दिया गया है । इस में कहा गया है कि वर्तमान के ७५ फीट उंचे दरवाजे के निर्माण कार्य में मंदिर के ढेर का उपयोग किया गया है । हरविलास शारदा ‘रॉयल एशियाटिक ब्रिटन तथा आयर्लंड’ के सदस्य थे । साथ ही वे अजमेर के अतिरिक्त आयुक्त भी थे ।
५. विष्णु गुप्ता ने अधिवक्ता शशी रंजन कुमार सिंह के माध्यम से यह याचिका प्रविष्ट की है । उसकी सुनवाई १० अक्तूबर को होने की संभावना है ।
दरगाह समिति ने दावा अस्वीकार किया !
मुसलमानों का दावा है कि अजमेर दरगाह उनके सुफी संप्रदाय के संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की कब्र है । अखिल भारतीय सूफी सज्जाप्रधान परिषद के अध्यक्ष नसीरुद्दीन चिश्ती तथा दरगाह दीवान सय्यद जैनुल अबेदिन के उत्तराधिकारी तथा दरगाह सेवक संगठन अंजुमन सय्यद जगदान के सचिव सरवर चिश्ती ने विष्णु सेन की मांग को निराधार बताया है । उन्होंने कहा कि यदि धार्मिक स्थलों के विरोध में षड्यंत्र रचाया जाता है, तो सहन नहीं किया जाएगा । यदि इतिहास को देखा, तो दरगाह ख्वाजा साहेब के विषय में कभी आपत्ति नहीं जताई गई है । मुगलों से लेकर खिलजी तथा तुघलक तक हिंदू राजाओंं तथा मराठाओं ने भी दरगाह को बडे सम्मान से देखा तथा श्रद्धा व्यक्त की है ।