मुंबई – मंदिरों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद को विशेष स्थान दिया जाना चाहिए । प्रसाद बनाने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए जाने चाहिए और देशभर के सभी मंदिरों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए । साथ ही प्रसाद को विशेष महत्व देते हुए उसे बनाने के लिए नियमावली निश्चित की जानी चाहिए । यह मांग ‘ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फेडरेशन’ ने की है । इस विषय में फेडरेशन के अध्यक्ष अभय पांडे ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को पत्र लिखा है ।
तिरुपति के प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसाद लड्डुओं में गोमांस की चर्बी का उपयोग होने के समाचार के पश्चात यह मांग उठाई गई है । अभय पांडे ने अपने पत्र में लिखा है कि मंदिरों में वितरित किए जाने वाले घी, दूध एवम अन्य सामग्रियों की शुद्धता जांचने के लिए कोई प्रक्रिया नहीं होती । मंदिर प्रशासन भी बाहरी सुविधाओं का उपयोग नहीं करता, जिससे मंदिरों को आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्ता इसका अनुचित लाभ उठा रहे हैं । तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के प्रकरण से यह बात स्पष्ट हुई है । इसलिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण को प्रत्येक राज्य के मंदिरों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद की समय-समय पर जांच कराने के निर्देश देने चाहिए । तिरुपति देवस्थान ने भक्तों की भावनाओं तथा विश्वास के साथ खिलवाड किया है, जिससे देशभर के भक्तों में क्षोभ एवं आक्रोश हैं। इस घटना के पश्चात अब देश के सभी मंदिरों में प्रसाद की जांच की आवश्यकता है ।
प्रसाद में जिन सामग्रियों का उपयोग नहीं होना चाहिए, इसकी सूची ७ दिनों में घोषित करें !
प्रसाद में जिन सामग्रियों का उपयोग नहीं होना चाहिए, इसकी सूची भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण को ७ दिनों के भीतर घोषित करनी चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए । यदि इस पर तुरंत कार्यवाही नहीं हुई, तो हम न्यायालय का सहारा लेंगे, यह चेतावनी ‘ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फेडरेशन’ ने अपने पत्र में दी है।