बांग्लादेश में हिन्दुओं की स्थिति तथा अपनी रक्षा हेतु भारत को उठाने हेतु आवश्यक कदम !

बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार का प्रातिनिधिक चित्र

बांग्लादेश के १६ प्रतिशत हिन्दू गए कहां ?

बांग्लादेश में कुछ ही दिन पूर्व मोहम्मद युनूस की आंतरिक सरकार का गठन हुआ । सरकार की बैठक में हिन्दुओं की सुरक्षा पर चर्चा की गई । वहां के ५२ जिलों में हिन्दुओं पर २०० से अधिक आक्रमण हुए । बांग्लादेश की युनूस सरकार ने हिन्दुओं के साथ हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की बांग्लादेश के हिन्दू अपनी सुरक्षा के विषय में अत्यंत भयभीत हैं, जबकि कुछ हिन्दुओं ने भारतीय सीमा की ओर पलायन किया है ।

वर्तमान समय में बांग्लादेश में २ करोड हिन्दू हैं । वर्ष १९५० में पाकिस्तान में हिन्दुओं की संख्या ८ से ९ प्रतिशत थी, जो वर्तमान समय में ५ लाख तक अर्थात १ प्रतिशत तक ही शेष है । पूर्व पाकिस्तान में (आज के बांग्लादेश में) देश के विभाजन के उपरांत वर्ष १९५० में २४ से २५ प्रतिशत हिन्दू थे । वर्तमान समय में बांग्लादेश में केवल ८.६ प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं, तो शेष १६ प्रतिशत हिन्दू गए कहां ? एक तो वे मारे गए अथवा उन्होंने धर्मपरिवर्तन किया अथवा कुछ हिन्दू पलायन कर भारत आए ।

२. अल्पसंख्यक बांग्लादेशियों का पलायन कर भारत आने के कारण

शेख हसीना के सरकार के सामने इस्लामी कट्टरतावाद की चुनौती अत्यंत विकट थी । केवल ५ दशक पूर्व ‘एक धर्म एक राष्ट्र’ की वैचारिक रचना को अस्वीकार कर बंगाली अस्मिता पर आधारित तथा राष्ट्रवाद का समर्थन करनेवाले बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरवतावाद के प्रभाव के कारण ‘आमार शोनार बांग्ला’ (हमारे सोने जैसा बंगाल) अब वहाबी कट्टरतावाद की ओर अग्रसर है । बांग्लादेश में हिन्दू, ईसाई एवं बौद्ध प्राण मुट्ठी में लेकर ही जी रहे हैं । उन्हें यहां के कडवे कट्टरपंथियों के अत्याचारों का सामना करना पड रहा है । उसके कारण अल्पसंख्यक बांग्लादेशियों का वहां से पलायन कर भारत आने का स्तर बढ सकता है ।

ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त)

३. बांग्लादेश में चल रहे हिन्दू-बौद्ध नरसंहार के विषय में भारत के आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्षतावादी, बुद्धिजीवी तथा मानवतावादी मौन क्यों हैं ?

वर्ष १९७१ के युद्ध में ३५ लाख हिन्दुओं का हुआ वंशविच्छेद अमेरिकन पत्रकार गैरी बास को विश्व के सामने लाना पडा । अमेरिकन ज्यू तथा मानवतावादी कार्यकर्ता डॉ. रिचर्ड बेंकिन बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैचारिक तथा कानूनी स्तर पर लड रहा है । तो कुछ अपवादों को छोड दिया जाए, तो भारत के तथाकथित आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्षतावादी (सेक्यूलर्स), मानवतावादी तथा बुद्धिजीवी विचारक बांग्लादेश में हो रहे हिन्दू हिंदु-बौद्ध वंशविच्छेद पर मौन क्यों रहते हैं ?

४. पाकिस्तान के द्वारा तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान की भारतियों की संपत्ति अपने नियंत्रण में लेना तथा बांग्लादेश की स्वतंत्रता के उपरांत भी वही नीति जारी रहना

बांग्लादेश सरकार ने भारत में स्थानांतरित लोगों की संपत्ति अपने नियंत्रण में ली । पाकिस्तान ने वर्ष १९६५ के युद्ध के समय भारतियों को शत्रु घोषित कर ‘शत्रु संपत्ति प्रतिबंध १९६५’ कानून लागू कर भारतियों की (मुख्यरूप से हिन्दुओं एवं बौद्धों की) पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान में स्थित संपत्ति अपने नियंत्रण में ली थी । स्वतंत्रता के उपरांत बांग्लादेश ने ‘Vesting of Property and Assets Order 1972’ (शत्रु संपत्ति प्रतिबंध कानून १९७२) लागू कर उसके अंतर्गत किसी भी प्रतिबंधित पाकिस्तान सरकार की अथवा मंडल की तथा भूतपूर्व पाकिस्तान के नियंत्रणवाली पूरी संपत्ति बांग्लादेश सरकार को हस्तांतरित की । पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों की जो संपत्ति पूर्वी पाकिस्तान में थी, वह इस कानून के अनुसार बांग्लादेश ने अपने नियंत्रण में ली; परंतु पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान ने ‘शत्रु संपत्ति प्रतिबंध १९६५’ के अनुसार भारतियों की अथवा भारत में स्थानांतरित लोगों की जो संपत्ति अपने नियंत्रण में ली थी, वह भी बांग्लादेश सरकार के नियंत्रण में चली गई । बांग्लादेश के संविधान के अनुसार भारत शत्रु राष्ट्र नहीं है; परंतु तब भी भारतियों की अथवा भारत में स्थानांतरित लोगों की संपत्ति बांग्लादेश सरकार ने अपने नियंत्रण में ली ।

पाकिस्तान सरकार ने नियंत्रण में ली गई संपत्ति को बांग्लादेश सरकार ने उनके मूल मालिक को वापस तो की ही नहीं; परंतु उसके विपरीत वे उस संपत्ति की सूची में वृद्धि करते रहे, साथ ही राज्य अधिग्रहण कार्यालय के तहसीलदार तथा अन्य कर्मचारियों को ‘उनके संबंधित कार्यक्षेत्र में कोई भी छिपाई हुई संपत्ति (Vested) खोज निकाली अथवा प्रस्तुत की, तो ऐसा करनेवाले व्यक्ति को उचित पुरस्कार दिया जाएगा’, ऐसी घोषणा कर एक प्रकार से निहित संपत्तियों की सूची में नए सिरे से संपत्तियों को अंतर्भूत करने हेतु वे प्रोत्साहित करते रहे ।

५. भारत को बांग्लादेश की सरकार को वहां के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भान करा देना महत्त्वपूर्ण !

बांग्लादेश की बदली हुई स्थिति में भारत को वहां के सत्ताधारियों तथा विरोधी दलों से अच्छे संबंध स्थापित करना आवश्यक है । भारता ने उस देश की सहायता करते समय क्या वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं की रक्षां हो रही है ?, यह देखना होगा । बांग्लादेश में हिन्दुओं का उत्पीडन हुआ, तो उसके परिणाम भारत के साथ के संबंधों पर होंगे तथा विदेश नीति के अनुसार ऐसा होना हानिकारक है, इसका बांग्लादेश को भान करा देना चाहिए । भारत को वहां के हिन्दुओं की सुरक्षा हेतु अंतरराष्ट्रीय स्तर से दबाव बनाने की आवश्यकता है ।

– ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त), पुणे

बांग्लादेश के राजनीतिक दलों के द्वारा हिन्दुओं की भूमि हडपने का औसत

ढाका विश्वविद्यालय के प्रा. अबुल बरकत ने ‘An Inquiry into Causes and Consequences of Deprivation of Hindu Minorities in Bangladesh through the Vested Property Act’, इस पुस्तक में ‘शत्रु संपत्ति प्रतिबंध १९७२’ के अनुसार हिन्दुओं की भूमियों की चोरी का तथा अन्याय का प्रमाणोंसहित अध्येतापूर्ण विवेचन किया है । इस प्रतिबंध के कारण बांग्लादेश के ४० प्रतिशत हिन्दू परिवार प्रभावित हुए हैं । उसमें लगभग ७.५ लाख कृषि से वंचित परिवार अंतर्भूत थे, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू परिवारों द्वारा गंवाई हुई कुल भूमि का अनुमान १६.४ लाख एकड है, जो हिन्दू समाज के स्वामित्ववाली भूमि का ५३ प्रतिशत है, साथ ही बांग्लादेश की कुल भूमि के ५.३ प्रतिशत है ।

राजनीतिक दल गैरकानूनी पद्धति से हडपी गई भूमि (प्रतिशत)
अवामी लीग ४४.२
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ३१.७
जातिय पार्टी ५.८
जमात-ए-इस्लामी ४.८
अन्य १३.५

प्रा. अबुल बरकत के सर्वेक्षण के अनुसार सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने हिन्दुओं की भूमि हडप ली है । बांग्लादेश के हिन्दुओं ने इन प्रतिबंधों के कारण वर्ष २००१ से लेकर २००६ तक के ६ वर्षाें में ही लगभग २२ लाख एकड स्थिर एवं चलित संपत्ति गंवाई है, जो बांग्लादेश की (उस समय की वर्ष २००७ की) सकल राष्ट्रीय आय की (‘जीडीपी’ के) ५० प्रतिशत से अधिक है । – ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त)