Javed Akhtar On ISRO : (और इनकी सुनिए) ‘इसरो के वैज्ञानिक चंद्रमा पर उपग्रह भेजते हैं और मंदिर में जाते हैं !’ – गीतकार जावेद अख्तर

गीतकार जावेद अख्तर का विज्ञान और धर्म पर टिप्पणी करने वाला विधान !

गीतकार जावेद अख्तर (बाएं)

नई देहली – प्रसिद्ध चित्रपट कथालेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने विज्ञान और धर्म पर बोलते समय इसे परस्पर विरोधी ठहराया है । उन्होंने कहा कि, भारत में इसरो का (भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान का) एक व्यक्ति है जो चंद्रमा के एक भाग पर उपग्रह भेज सकता है । चंद्रमा पर चंद्रलोक है । वहां देवता रहते हैं और आप वहां उपग्रह भेजते हैं । उपग्रह वहां पहुंचने पर आप (इसरो के वैज्ञानिक) मंदिर में जाते हैं, यह स्किजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मनोविकार) है । मानवीय इतिहास में ऐसा पहली बार ही हो रहा है कि आपका ज्ञान और जानकारी और आपके धर्म की विचारधारा एक साथ नहीं आती, ऐसा विधान लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने एक साक्षात्कार में किया ।

जावेद अख्तर ने बताया कि सभी धर्म किसी भी अपवाद के अतिरिक्त अंधकार युग में हैं । उनकी जडें अंधकार युग से जुडी हुई हैं । लोगों की गर्भनली अंधकार युग से अभी भी जुडी हुई है ।

संपादकीय भूमिका 

  • विज्ञानवादियों को नास्तिक होना चाहिए, ऐसा नियम है क्या तथा सात्विक होने वाले विज्ञानवादी नहीं हो सकते, ऐसी वैश्विक नीति है क्या ?
  • जावेद अख्तर को कितने इस्लामी देशों ने विज्ञान में प्रगति की है, वैज्ञानिक खोज किए हैं, इसकी भी जानकारी देनी चाहिए !
  • मुसलमान अभी भी मध्ययुग से बाहर नहीं निकले हैं, यह जावेद अख्तर को भी स्वीकार होगा ही; लेकिन इसकी तुलना उन्हें हिन्दुओं से नहीं करनी चाहिए !