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मालवण – शहर के राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद राजनीति गरमा गई है । विपक्षी दलों की महा विकास अघाड़ी ने मालवण बंद का आह्वान किया था । इस अवसर पर यहां आये महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने राजकोट किले का निरीक्षण किया तथा वहां की स्थिति की जानकारी लिया । इसी समय बीजेपी नेता एवं सांसद नारायण राणे भी कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंच गए। उस समय शिव सेना ठाकरे समूह के नेता आदित्य ठाकरे एवं सांसद राणे के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए और नारेबाजी आरंभ हो गई जिससे वहां का वातावरण तनावपूर्ण हो गया । इसको लेकर दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर पथराव कर दिया । समय रहते पुलिस के हस्तक्षेप के बाद स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सका। इसके पश्चात महाविकास अघाड़ी के नेताओं को पुलिस घेरे में किले से बाहर ले जाया गया है ।
Tension arises as Thackeray and Rane supporters face off at Rajkot Fort.
Incident involving the collapse of Chhatrapati Shivaji Maharaj’s statue at Rajkot, Sindhudurg district.
Verbal altercation between Narayan Rane, Nilesh Rane, and the Police.
MVA leaders escorted out under… pic.twitter.com/rZt8X7oK3A
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) August 28, 2024
दोनों गुट सामने आ गए और स्थिति बिगड गई !
इस मामले में महाविकास अघाड़ी ने मालवण बंद का आह्वान किया था । उसके बाद, ठाकरे समूह के नेता आदित्य ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस के शरद चंद्र पवार पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष जयंत पाटिल, विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, पूर्व सांसद विनायक राऊत, विधायक वैभव नाइक सहित महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने निरीक्षण किया। राजकोट किले पर जाकर स्थिति की जानकारी लिया । इसी समय जब तीनों पार्टियों के नेता घटना स्थल का निरीक्षण कर रहे थे, तभी नारायण राणे, पूर्व बीजेपी सांसद नीलेश राणे अपने कार्यकर्ताओं के साथ वहां आ गए । इस स्थान की खोज में बिताया गया समय दोनों समूहों के लिए अलग-अलग था; लेकिन चूँकि दोनों ग्रुप एक ही समय पर आये थे अतः प्रकरण और बढ़ गया । इससे किले के प्रवेश द्वार पर बहुत तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
आदित्य ठाकरे का धरना आंदोलन !
नारायण राणे और नितेश राणे के कार्यकर्ता राजकोट किले के प्रवेश द्वार पर नारे लगाते रहे, महाविकास अघाड़ी के सभी नेता किले पर ही डटे रहे । इस घटना के बाद आदित्य ठाकरे ने अपने साथियों के साथ राजकोट किले पर विरोध प्रदर्शन किया । प्रतिमा का निरीक्षण करने के बाद घटना के विरोध में मालवन में मोर्चा भी निकाला गया ।
आदित्य ठाकरे ने कहा, ”जब हम अंदर आ रहे थे तो प्रवेश द्वार पर भारी भीड थी । उत्पात मच गया । बीजेपी के कारण महाराष्ट्र अपमानित हो रहा है । पत्रकार भी आश्चर्य चकित रह गये । मैंने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि महाराजा के किले की जगह पर राजनीति न करें । इस प्रतिमा का दायित्व महायुति सरकार ने लेते हुए इस घटना के लिए नौसेना को आरोपी ठहराया है ।
जयंत पाटिल द्वारा मध्यस्थता का प्रयास
किले में बढ़ते तनाव को देखते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने खुद पहल की और नारायण राणे और नीलेश राणे से बातचीत की । वह सीधे राणे समर्थकों की भीड़ में जा पहुंचे। वहां उन्होंने पहले नीलेश राणे और फिर नारायण राणे से बातचीत की और उनसे विवाद से बचने का अनुरोध किया; किंतु दोनों गुट अपने बयान पर अड़े रहे तो दरार पैदा हो गई । अंततः राणे के रास्ता खाली करने के पश्चात महाविकास अघाड़ी नेता पुलिस सुरक्षा में किले से बाहर निकले । यह लड़ाई का स्थान नहीं है । प्रतिमा का गिरना दुर्भाग्यपूर्ण घटना है । यहाँ क्या हुआ और हम क्या कर रहे हैं ? पाटिल ने यह कहकर बीच-बचाव करने का प्रयास किया कि इस पर विचार किया जाना चाहिए ।