Justice Krishna S. Dixit : वर्ण अर्थात जाति नहीं है !

कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की स्पष्टोक्ति !

न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित

बेंगळूरु (कर्नाटक) – कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित ने वक्तव्य करते हुए कहा, ‘वर्ण अर्थात जाति नहीं है । मनु ब्राह्मण नहीं था । मनु एक पदवी है । मनुस्मृति में अनेक उच्च तत्त्व समाहित हैं । भारत का महाकाव्य, वेद एवं उपनिषद ये ज्यादातर शूद्र वर्ण के लोगों द्वारा ही रचित हैं ।’ वे कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वी. तारकराम की स्मृति में आयोजित ‘कानून एवं धर्म’ विषय पर बोल रहे थे । इस समय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति, वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अधिवक्ता, साथ ही राज्य अधिवक्ता परिषद के पदाधिकारी उपस्थित थे ।

न्यायमूर्ति दीक्षित ने आगे कहा,

१. खड्ग संस्कार के कारण युद्ध कौशल्य आत्मसात करने से शूद्र वर्णीय आगे जाकर राजा बन गए। कानून बनाने में विश्‍व के अन्य सर्व धर्मियों की अपेक्षा हिन्दू धर्मीय सदैव प्रभावशाली रहे हैं ।

२.  सर्व देशों के कानून, ये स्थानीय नियम, प्रथा एवं पूर्वानुभव पर आधारित बनाए गए हैं । जिसमें भेदभाव नहीं, ऐसी व्यवस्था अर्थात धर्म है ।

३. सभी धर्मों में कर्मठ (कट्टर) व्यक्ति होते ही हैं । उनकी संख्या अधिक अथवा अल्प होती है । धर्म में भावनिक घटक समाहित होता है; इसीलिए कार्ल मार्क्स ने धर्म को ‘अफीम’ कहा । तब भी ऐसा कोई धर्म नहीं है, जिसकी आलोचना न हुई हो ।

४. युद्ध आरंभ होने से पूर्व युद्ध के नियम बनाए गए थे । यह महाभारत में पाया जाता है । परंतु यूरोप का तत्त्व है कि युद्ध एवं प्रेम में सबकुछ उचित माना जाता है । (Everything is fair in love and war.)