मुंबई, १ अगस्त (वार्ता.) – रायगड जिले के इरशालवाडी में वर्ष २०१३ में भूस्खलन होने से ८४ लोगों की मृत्यु हो गई थी । इस दुर्घटना के उपरांत भी राज्य का आपदा व्यवस्थापन विभाग जागा नहीं, ऐसा ध्यान में आ रहा है । राज्य में भूस्खलन का खतरा होने वाले संभावित ४०० स्थान हैं; लेकिन नागरिकों को स्थानांतरित किया गया है क्या, इस विषय में बरसात का आधा मौसम समाप्त हो गया, तो भी आपदा व्यवस्थापन विभाग ने ब्योरा ही नहीं लिया, ऐसी जानकारी सामने आई है । इस कारण राज्य में पुन: इरशालवाडी जैसी दुर्घटना होकर किसी की दुर्भाग्य से मृत्यु होने पर इसके लिए आपदा व्यवस्थापन विभाग की लापरवाही कारण बनेगी, ऐसा कहा जा रहा है ।
१. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने २० मई के दिन राज्य के सभी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मानसून पूर्व ब्योरा बैठक ली । इस बैठक में संभावित भूस्खलन क्षेत्र के नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का आदेश मुख्यमंत्री ने दिया था ।
२. इस आदेश के अनुसार कुछ जिलों ने कार्यवाही की भी होगी अथवा कुछ स्थानों पर प्रशासन के सूचना देने पर नागरिकों ने स्थान परिवर्तन करने से मना किया होगा; लेकिन बरसात का आधा समय बीत गया, तो भी राज्य के आपदा व्यवस्थापन विभाग ने इस विषय का ब्योरा नहीं लिया ।
३. दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि को राज्य के आपदा व्यवस्थापन विभाग के अधिकारियों से भेंट कर ‘कार्यवाही के विषय में जिला प्रशासन की ओर से जानकारी मंगवानी पडेगी’, ऐसा उन्होंने बताया ।
४. २ दिन पूर्व केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन में मृतकों की संख्या २५० के ऊपर पहुंची है । ‘इस पृष्ठभूमि पर राज्य के आपदा व्यवस्थापन विभाग ने भूस्खलन का खतरा होने वाले संभावित स्थान से नागरिकों का स्थानांतरण किया है क्या, इस विषय का ब्योरा लेकर जहां नागरिकों का स्थानांतरण नहीं हुआ, वहां ध्यान देने की आवश्यकता है’, ऐसा नागरिकों का कहना है ।
संपादकीय भूमिकामहाराष्ट्र के आपदा व्यवस्थापन विभाग का भ्रष्टाचार और जनता विरोधी काम ! |