व्यंगचित्रमें राष्ट्रध्वज के भगवा रंग को काले रंग का दिखाया गया ।
तिरुवनंतपुरम (केरल) – केरल उच्च न्यायालय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रकरण कहते हुए भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले एक कार्टूनिस्ट के विरुद्ध मामला निरस्त कर दिया है । ७० वें स्वतंत्रता दिवस पर पत्रिका ‘मलयालम मनोरमा’. मा. गांधीजी एवं भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का एक व्यंग्यचित्र प्रकाशित किया गया था । इसमें भगवा भाग के ऊपरी भाग को काली रेखा से दर्शाया गया था। इसके विरुद्ध बीजेपी प्रदेश कमेटी के महासचिव ने आपत्ति प्रविष्ट करायी है ।
न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने सुनवाई के समय कहा कि,
१. एक कार्टूनिस्ट का लघु चित्रण एक शक्तिशाली दृश्य कथन है, जो दर्शकों को आकर्षित तथा प्रेरित करता है ।
२.कार्टूनिस्ट भी जनसंचार माध्यमों का अंग हैं । उन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मिला हुआ है । मौलिक अधिकार उन्हें कार्टून जैसे रूपों के माध्यम से अपना मत, विचार एवं रचनात्मकता व्यक्त करने की अनुमति देता है ।
३. यद्यपि, यह स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत कुछ प्रतिबंधों के अधीन है, जिससे देश की एकता तथा अखंडता प्रभावित न हो । एक कार्टूनिस्ट एक छोटे से कार्टून से बहुत कुछ कहने की क्षमता रखता है ।
संपादकीय भूमिकाभारत तथा हिंदू विरोधी लोगो द्वारा निरंतर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिक ( अनावश्यक ) लाभ उठाया जाना सामान्य बात हो गई है हैं! केंद्र सरकार को अब इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ! |