|
तिरुवनंतपुरम (केरल) – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (‘इसरो’) के वैज्ञानिक नंबी नारायणन का प्रकरण एक बार पुनः चर्चा में है। जासूसी के आरोप में कई साल जेल में व्यतीत करने वाले नंबी नारायणन को पहले ही दोषमुक्त कर दिया गया है। केरल के एक न्यायालय में सीबीआई द्वारा प्रविष्ट आरोपपत्र में कहा गया है कि १९९४ का इसरो जासूसी मामला असत्य है। सीबीआई ने कहा है कि यह षड्यंत्र केरल पुलिस की विशेष शाखा के एक पूर्व अधिकारी ने रची थी। इसमे सीबीआई ने केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक सी.बी. मैथ्यूज तथा गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर.बी. श्रीकुमार को बंदी बनाया गया है। अन्य ३ सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी एस. विजयन, के.के. जोशुआ और पीएस जयप्रकाश के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया गया है।
Conspiracy Against ISRO Scientists: Fabrication of case and arrest of ISRO Scientists by police officers revealed!
False espionage case against Nambi Narayanan – CBI Chargesheet
Two former Director General Police arrested!
Nambi Narayanan, who fought for 20 years to bring out… pic.twitter.com/HCDHHgMxLQ
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) July 11, 2024
सीबीआई ने तिरुवनंतपुरम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आरोप पत्र प्रविष्ट किया है। इसमें कहा गया कि मालदीव की एक महिला को अवैधरूप से कब्जे मे लिया उस घटना का समर्थन करने वास्ते ये षड्यंत्र रचा गया । वर्ष २०२१ में, केरल पुलिस और वरिष्ठ गुप्तचर अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद, नांबी नारायणन पर पाकिस्तान के लिए मध्यस्त के रूप में काम करने वाली मालदीव की २ महिलाओं को तंत्रज्ञान के रहस्य बेचने का आरोप लगाया गया था।
सीबीआई ने आरोपपत्र में क्या कहा है ?
सीबीआई ने कहा कि यह मामला आरंभ से ही कानून और अधिकार के दुरुपयोग का उदाहरण है। आरोपी ने मालदीव की 2 महिलाएं मरियम रशीदा और फौजिया हसन, इसरो वैज्ञानिक डी. शशिकुमारन और नंबी नारायणन, साथ ही चंद्रशेखर और एस.के. शर्मा को जासूसी प्रकरण में फंसाया गया था।
रशीदा से शारीरिक संबंध बनाना चाहता था पूर्व पुलिस अधिकारी!
सीबीआई की आरोपपत्र के अनुसार, मालदीव की महिला मरियम रशीदा तिरुवनंतपुरम के एक होटल में ठहरी थी। एस.विजयन जो उस समय संभागीय अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। विजयन उसी होटल में पहुंचे। वह मरियम रशीदा के कमरे में घुस गया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया। जब मरियम ने विरोध किया तो विजयन ने उसे सबक सिखाने के लिए मरियम को बंदी बना लिया। बाद में विजयन ने रशीदा का नाम इसरो वैज्ञानिक डी शशिकुमारन से जुड़ा था और उसके बाद पूरा प्रकरण बुना गया।
ऐसे फसाया गया नंबी नारायणन को !
आरोप पत्र में कहा गया है कि विजयन तत्काल कमरे से बाहर चले गए और मरियम रशीदा और फौजिया हसन की जानकारी एकत्र की। होटल रिकॉर्ड से पता चला कि रशिदा इसरो में कार्यरत वैज्ञानिक, डी. शशिकुमारन से फोन पर संपर्क में थे। विजयन ने उनका पासपोर्ट और माले की फ्लाइट टिकट भी जब्त कर ली। भारत में वीज़ा समाप्त होने के पश्चात भी रशीदा को भारत छोड़ने से रोका गया था। झूठी जांच रिपोर्ट सिद्ध हुई, जिसके आधार पर अन्य लोगों को बंदी बनाया गया। पूछताछ के समय उनसे अपराध स्वीकारने के लिए उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
नंबी नारायणन को ५० दिनों तक प्रताड़ित किया गया !
वैज्ञानिक नांबी नारायणन ने भारत में कई रॉकेटों में उपयोग किए जाने वाले विकास इंजन को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जासूसी का आरोप लगने के बाद उन्हें बंदी बनाया गया और शारीरिक और मानसिक यातना दी गई। ये यातना 50 दिनों तक चली। इससे उनकी प्रतिष्ठा और व्यवसाय को अति हानि हुई । नारायणन इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गए और न्याय की मांग करते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य ढंग से बंदी बनाया गया और प्रताड़ित किया गया।
नंबी नारायणन ने क्या कहा ?सच्चाई सामने लाने के लिए २० साल तक संघर्ष करने वाले नंबी नारायणन ने आरोप पत्र में कहा, ”इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि एक व्यक्ति के रूप में उन दोषियों को सजा मिलेगी या नहीं?” यदि वे स्वीकार कर लें कि उन्होंने अनुचित कार्य किया है, तो यही योग्य होगा। |
संपादकीय भूमिकाकेंद्र सरकार को ऐसे पुलिस अधिकारियों को फांसी की दंड दिलाने का प्रयास करना चाहिए जिन्होंने इसरो वैज्ञानिकों को अयोग्य प्रकरण में बंदी बनाकर तथा उन्हें प्रताड़ित करके देश को अत्यधिक क्षति पहुंचाया है! |