वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का सातवां दिन (३० जून) : हिन्दुत्वनिष्ठों के अनुभव
रामनाथी, गोवा – आज हमें अपनी संस्कृति, सीमा तथा हिन्दुओं की रक्षा हतेु ‘राजनीति का हिन्दूकरण’ करन ाआवश्यक है । राजनीति का अर्थ केवल चुनाव जीतना नहीं है । वर्तमान राजनीति स्वार्थ से भरी तथा पारिवारीक बन चुकी है । देश की सीमाओं की रक्षा करना राज्यकर्ताओं का दायित्व होता है । अभी भी गोहत्या रूकी नहीं है । मंदिर तोडे जा रहे हैं । हिन्दुओं की अल्प होती जा रही संख्या, लव जिहाद जैसी अनेक समस्याएं हैं । नरसिंह राव सरकार द्वारा बनाए गए ‘मंदिर कानून’ को रद्द कर गिराए गए अथवा मुसलमानों द्वारा हडप लिए गए ३ लाख मंदिरों का पुनर्निर्माण करना है । सरकार को इन सभी कानून बनाने के लिए बाध्य बनाना चाहिए । अब इस महोत्सव के माध्यम से ‘हिन्दू राष्ट्र समिति’ बनाने के प्रयास चल रहे हैं, उसके लिए मेरा संपूर्ण समर्थन रहेगा । पहले राष्ट्रीय स्तर पर स्थित अधिवेशन अब विश्वस्तर का बन चुका है । उसके कारण अखंड हिन्दू राष्ट्र बनेगा, ऐसा लगता है; ऐसा प्रतिपादन अखिल भारत हिन्दू महासभा के अध्यक्ष श्री. मुन्नाकुमार शर्मा ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के अंतिम दिन अर्थात ३० जून के द्वितीय सत्र में ‘राजनीति का हिन्दूकरण’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
उन्होंने आगे कहा कि अखिल भारत हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता स्वतंत्रतासंग्राम में सहभागी हुए; परंतु उन्होंने राजनीतिक अधिकार लेने का कभी प्रयास नहीं किया । उसका परिणाम यह हुआ कि यह देश कांग्रेस के हाथ में चला गया । उसके उपरांत कांग्रेस ने संपूर्ण भारत का इस्लामीकरण करना आरंभ किया । उस समय मुख्यमंत्री, राज्यपाल, शिक्षामंत्री आदि सभी मुसलमान थे । वीर सावरकरजी ने कारागृह से बाहर आने पर यह घोषणा करते हुए कहा कि राजनीति का हिन्दूकरण तथा हिन्दुओं का सैनिकीकरण कीजिए । उन्होंने अंग्रेजी सेना में सम्मिलित होने का आवाहन किया । उसके लिए उनकी आलोचना हुई; परंतु उन्होंने यह पूछा कि स्वतंत्रता को टिकाए रखने हेतु सीमाओं की रक्षा करने हेतु क्या सैनिकों की आवश्यकता नहीं है ?’