वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का पांचवां दिन (२८ जून) : मंदिर संस्कृति की रक्षा के प्रयत्न

श्री तुलजापुर मंदिर के भ्रष्टाचार के विरोध में जिलों में आंदोलन करना चाहिए ! – किशोर गंगणे, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, धाराशिव

श्री. किशोर गंगणे

श्री तुलजाभवानी मंदिर की दानपेटी में अर्पण पैसे और आभूषणों में भ्रष्टाचार हुआ है । ठेकेदारों और विश्वस्तों ने मिलीभगत कर मंदिर की संपत्ति की लूटपाट की । तुलजापुर देवस्थान में भ्रष्टाचार करनेवालों पर कार्रवाई करने के लिए अनुवर्ती प्रयास (फोलो अप) करने पर सरकार ने सी.आइ.डी.द्वारा अन्वेषण आरंभ किया; परंतु इस प्रकरण में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई । तब इस विषय में पू. अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी ने उच्च न्यायालय में याचिका की । तदुपरांत न्यायालय ने विश्वस्तों पर अभियोग प्रविष्ट करने का आदेश दिया । यह आदेश देकर ५० दिन हो गए, तब भी उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई । इस भ्रष्टाचार में भारतीय प्रशासकीय सेवा के अधिकारी और मंदिरों के विश्वस्त लिप्त हैं । इसकी पूछताछ बहुत ही धीमी गति से चल रही है । इस प्रकरण को दबाने के प्रयत्न शुरू हैं । श्री तुलजापुर मंदिर के इस भ्रष्टाचार के विरोध में जिलों में आंदोलन करना चाहिए ।


अमेरिका के ‘मायन’, ‘अजटेक’ और ‘इन्कास’, ये संस्कृतियां (सिविलाईजेशन) सनातन धर्म से संबंधित थीं ! – श्री. प्रवीण कुमार शर्मा, वैदिक प्रवचनकार और आंतरराष्ट्रीय हिन्दू शोधकर्ता, तेलंगाना

श्री. प्रवीण कुमार शर्मा

सनातन धर्म वैश्विक धर्म है । वह भारत तक ही सीमित नहीं था, अपितु संपूर्ण पृथ्वी पर सनातन धर्म फैला था । पूर्वकाल की अमेरिका की ‘मायन’, ‘अजटेक’ एवं ‘इन्कास’ संस्कृतियां (सिविलाईजेशन) सनातन धर्म से संबंधित थीं । हिन्दुओं की अतिसहिष्णुता के कारण वे संस्कृतियां सर्वत्र टिक नहीं पाईं । तदुपरांत निर्माण हुए पंथों के लोगों ने तलवार के बल पर जग पर अधिकार प्राप्त किया और सनातन धर्म को बहुत क्षति पहुंचाई । मध्यपूर्व देशों से आक्रामकों ने भारत पर आक्रमण किया । यहां की संस्कृति की हानि की । उन्होंने हमारे ग्रंथ नष्ट किए; परंतु वे हमारी संस्कृति नष्ट नहीं कर सके, ऐसे उद्गार तेलंगाना के वैदिक प्रवचनकार और आंतरराष्ट्रीय हिन्दू शोधकर्ता प्रवीण कुमार शर्मा ने किए ।

उन्होंने आगे कहा, ‘वेद विश्व का संविधान है । अणु-रेणु में सनातन धर्म है । वसुधैव कुटुम्बकम् । (अर्थ : संपूर्ण पृथ्वी ही एक परिवार है) और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: । (अर्थ : सर्व प्राणिमात्र सुखी हों), यह सनातनी सीख है । पहले जगभर में भगवान राम, गरूड की पूजा होती थी । सर्वत्र यज्ञ संस्कृति थी । सनातन धर्म में समस्त ज्ञान अंतर्भूत है । सनातन धर्म प्राकृतिक है । वह अनादि अनंत है । आपातकाल में केवल सनातन धर्म ही हमारी रक्षा करनेवाला है ।


मठ-मंदिरों के माध्यम से संस्कार निर्माण करने पर समाज में अपराध रुक जायेंगे ! – मदनमोहन उपाध्याय, संस्थापक, ‘मिशन सनातन’, रायपुर, छत्तीसगढ़

मदनमोहन उपाध्याय

विद्याधिराज सभागृह – मठ तथा मंदिर सनातन हिन्दू धर्म के आधार स्तंभ हैं । यदि लोगों में अच्छे संस्कार निर्माण किए जाएं तो उनके विचार बदल जाएंगे । रायपुर में मिशन सनातन के संस्थापक मदनमोहन उपाध्याय ने आगे कहा कि इससे समाज में अपराध रुकेंगे और यह मठ-मंदिरों से संभव होगा ।

मदनमोहन उपाध्याय ने कहा, ”पहले मंदिर में पुजारी भक्तों की व्याधि देखकर औषधियुक्त प्रसाद देते थे । वहां गौशालाएं, संगीत विद्यालय, मन्दिरों की मल्लशालाएं होती थीं । उन अखाड़ों से निकले युवा समाज की रक्षा करते थे । वर्तमान में करोड़ों रुपयों का मन्दिर बनता है; लेकिन देवता की पूजा के लिए पुजारियों को कम पैसे पर नियुक्त किया जाता है और उनसे अधिक कार्य की अपेक्षा की जाती है । इसलिए, मंदिरों को उचित पुजारी रखने की आवश्यकता है, और मंदिर के न्यासियों को उनकी आजीविका के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है । इसके साथ ही धनवान मंदिरों को आर्थिक रूप से कमजोर मंदिरों को गोद लेना चाहिए । मिशन सनातन 3 गुरुकुल निःशुल्क चलाता है, जिनमें 1 हजार 8 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । अगले 5 वर्षों में गुरुकुल में 20 हजार बच्चों को पढ़ाने की योजना है ।


मंदिर प्रबंधन श्रद्धालु ही भलीभांति कर सकते हैं ! – प्रदीप विष्णु तेंडोलकर, श्री जीवदानी देवी संस्थान, पालघर, महाराष्ट्र

श्री. प्रदीप विष्णु तेंडोलकर

विद्याधिराज सभागृह – मंदिरों के सुव्यवस्था के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग आवश्यक है तथा उन्हें मंदिरों का व्यवस्थापन अपने हाथ में लेना चाहिए । जहां सरकारी व्यवस्था विफल रहती है, वहां मंदिर समितियों को आगे आना चाहिए ।  मंदिरों का सुव्यवस्थापन करने के लिए प्रामाणिक प्रयत्न किया गया, तो अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं और समाज हमारा साथ देते हैं । इसी प्रकार, यदि इन समितियों ने व्यवस्था में छोटे-मोटे परिवर्तन किए, तो देश की ‘जीडीपी’ बढ़ाने में में मंदिरों का योगदान बहुत बड़ा रह सकता है, ये विचार पालघर के श्री जीवदानी देवी संस्थान के अध्यक्ष श्री प्रदीप तेंडोलकर ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के ५ वें दिन व्यक्त किए ।

मंदिरों का व्यवस्थापन हम अधिक अच्छे से किस प्रकार कर सकते हैं, इस विषय में श्री तेंडोलकर ने कहा,  ‘‘जीवदानी मंदिर पर्वत पर १ हजार ५०० फुट की उंचाई पर स्थित है । इसलिए, इसकी १ हजार ४०० सीढ़ियां चढ़कर दर्शन के लिए जाना पड़ता है । अतः, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर समिति ने सरकार के पास ‘बीओटी’ स्तर पर ‘फनिकुलर रोपवे ट्रेन’ का (अधिक चढाई और उतार वाले स्थानों पर उपयोग में लाई जानेवाली रोपवे रेल) प्रस्ताव भेजा था । इसके लिए १०० करोड रुपए मिलने की अपेक्षा थी । परंतु, यह कार्य सरकार १३ वर्ष नहीं कर सकी । इसके पश्चात मंदिर व्यवस्थापन ने यह कार्य केवल ढाई वर्षों में केवल ३२ करोड रुपए में पूर्ण किया । मंदिर में लाखों नारियल चढाए जाते थे । उनका मंदिर के बाहर विक्रय होता था । वे नारियल भक्तों के  माध्यम द्वारा वापस मंदिर में आते थे, यह टालने हेतु मंदिर ने नारियल की बर्फी बनाने का उपक्रम कार्यान्वित किया । इस कारण ६ लाख नारियल विक्रय से ६६ लाख रुपए मिल रहे थे, तथा अब नारियल बर्फी का प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है । इसलिए प्रतिवर्ष ढाई करोड रुपए मिलते है । मंदिर की ओर से आदिवासी एवं मंदिर परिसर के गरीब लोगों के लिए प्रतिवर्ष २ सामूहिक विवाह समारोह  आयोजित किए जाते हैं । मंदिर द्वारा विद्यालय चलाया जाता है । जिसमें ३ सहस्र छात्र पढाई कर रहे हैं । मंदिर में बडी मात्रा में रजत (चांदी धातु) वैसे ही पडी रही थी । उसे बेचकर उन पैसों से अनदेखे दत्त मंदिर का जिर्णोद्धार किया गया । अल्प मूल्य में ‘डायलिसिस सेंटर’ चलाया जाता है । इसके साथ ही वार्षिक महोत्सव की सुव्यवस्था हेतु परिसर के विद्यालय-महाविद्यालय के ‘एन.सी.सी.’ छात्रों की सहायता ली जाती है । इस प्रकार हमने ३५ वर्ष मंदिर का व्यवस्थापन संभाला है ।’


कंधार (जिला नांदेड) में हनुमानजी के मंदिर क्षेत्र में स्थित वैध दुकानें गिराने की कार्यवाही मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप करने से रोकी गई  ! – गणेश महाजन

श्री. गणेश महाजन

विद्याधिराज सभागृह – कंधार (जिला नांदेड) यहां एक पुरातन हनुमानजी का मंदिर है । इस मंदिर परिसर में स्थित दुकान गिराने के लिए प्रशासन का बुलडोजर पहुंचा होने की जानकारी गोवा में चल रहे ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में हनुमानजी मंदिर के न्यासी श्री गणेश महाजन को मिली । ये सभी दुकान वैध बने हैं तथा उन्हें तोड़ने से दुकानदारों पर अन्याय होगा । इसलिए, उन्होंने इस घटना की जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्यों के संगठनकर्ता एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक श्री सुनील घनवट को दी । पश्चात यह जानकारी महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे तक पहुंची । मुख्यमंत्री शिंदे ने तुरंत कार्यवाही की । तब, मंदिर के दुकान गिराने पहुंचे बुलडोजर को घटनास्थल से हटाया गया । इस विषय का घटनाक्रम हनुमानजी मंदिर के न्यासी श्री महाजन ने इस महोत्सव में विस्तार से बताया ।

हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य में सहायता करनी चाहिए  ! – गणेश महाजन

हनुमान मंदिर परिसर की दुकानें गिराने की कार्यवाही रुकने की जानकारी मिलने पर, श्री गणेश महाजन ने कहा, ‘हिन्दू जनजागृति समिति का संगठनात्मक कार्य बहुत ही प्रशंसनीय है । उसे सभी मंदिर न्यासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन सहायता करें । इससे आपकी ओर टेढी नजर से देखने का दुस्साहस कोई नहीं कर सकेगा ।’