गलवान के हिंसाचार के उपरांत भारत ने बंद की थी चीन से सीधी विमान यातायात सेवा
बीजिंग (चीन) – गलवान में वर्ष २०२० में भारत का विश्वासघात करना चीन को महंगा पडा है। भारत ने पीछले ४ वर्षों से चीन से सीधी विमान सेवा बंद की है। उसे फिर से आरंभ करने की मांग चीन निरंतर कर रहा है। चीन की इस मांग का भारत ने फिर से एक बार अस्वीकार किया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि, ‘जब तक सीमावाद चलता रहेगा, तब तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं होंगे।’ साथही चिनी नागरिकों को वीजा देने के संदर्भ में भी भारत ने कठोर भूमिका अपनाई है। गलवान हिंसाचार के उपरांत भारत ने चिनी नागरिकों को अत्यल्प मात्रा में वीजा (विदेशी नागरिकों को देश में कुछ कालावधी के लिए रहने के लिए दी जानेवाली अनुमति) दिया है। भारत सरकार की नीति अब राष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा पर है। इस कारण चिनी विमान प्रतिष्ठानों की भारी हानि हो रही है।
गलवान घाटी में चिनी सेना ने भारतीय सेना पर आक्रमण किया था। इसमें भारत के २० सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे; परंतु उसी समय चीन के ४० से भी अधिक सैनिक मारे गए थे। भारतीय सैनिकों की मृत्यु के पश्चात भारत ने चीन विरोधी भूमिका कठोर की है। भारत ने ‘टिक टॉक’ सहित दर्जनों चिनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया था। इतना ही नहीं, अपितु भ्रष्टाचार में सहभागी चिनी प्रतिष्ठानों पर भारत ने कडी कार्यवाही की। तत्पश्चात भी सीमा पर दोंनों देशों के ५०-५० सहस्रों से अधिक सैनिक नियुक्त हैं। गलवान संघर्ष के उपरांत भारत ने चिनी प्रतिष्ठानों के भारत में निवेश करने पर अनेक प्रतिबंध लगाए हैं। भारत और चीन में सीधी यात्री उडानें बंद हैं; परंतु सीधी माल उडानें जारी हैं।
चीन की ओर से विमान यातायात आरंभ करने के लिए भारत को आवाहन !
कोरोना महामारी के उपरांत चीन उसके विमान उद्योग को चालना देने का प्रयत्न कर रहा है; परंतु वह सफल नहीं हो पा रहा है। भारत का विमान यातायात उद्योग निरंतर प्रगति कर रहा है। पीछले वर्ष से चीन सरकार और उसके विमान प्रतिष्ठान भारत को सीधी उडानें आरंभ करने की विनती कर रहे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में बताया, ‘हम आशा करते है कि भारत नागरी उडान सेवा आरंभ करने के संदर्भ में चीन के साथ मिलकर काम करेगा, जिससे सीधी विमानसेवा फिर से आरंभ करना संभव होगा।’
चीन ने कहा है, ‘सीधी उडाने आरंभ करने से दोनों देशों को लाभ होगा।’ चीन की इस इच्छा पर एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि सीमापर शांति प्रस्थापित हुए बिना अन्य संबंधों में प्रगति संभव नहीं है।
संपादकीय भूमिकाभारत चीन के विरूद्ध ऐसी ही आक्रमक नीति अपनाएगा, तो ही वह सीधा हो जाएगा ! |