‘निर्विचार’, ‘ॐ निर्विचार’ एवं ‘श्री निर्विचाराय नमः ।’ नामजप भाव के स्तर के होना
साधक को निर्गुण स्थिति प्राप्त होने तक उसके मन में भाव होता ही है तथा मन को भाव का अभ्यास होता ही है । इसका लाभ लेकर यह नामजप भाव के स्तर पर करने से इस नामजप का फल अधिक मात्रा में मिलता है ।