गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का संदेश !
‘साधक के जीवन में गुरु का महत्त्व असाधारण है । साधकावस्था का अगला आध्यात्मिक चरण है शिष्यावस्था प्राप्त करना ! आज्ञापालन और तन-मन-धन का त्याग किए शिष्य का योगक्षेम गुरु ही संभालते हैं । ऐसे शिष्य पर किसी भी संकट का परिणाम नहीं होता; क्योंकि उस पर गुरु की प्रीतिमय कृपा होती है । वर्तमान आपातकाल में साधकों को गुरु का प्रीतिमय कृपाछत्र अनुभव करने का स्वर्णिम अवसर है । आगामी काल में बडे-बडे संकट हमें पार करने हैं । यह ध्यान में रखकर आपातकाल में रक्षा होने के लिए अनन्य भाव से श्रीमन्नारायणस्वरूप परात्पर गुरु डॉक्टरजी की शरण लें और उनका खरा शिष्य बनने के लिए साधना हेतु पराकाष्ठा के प्रयत्न करें ।’ – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी. (२८.४.२०२१)