साधना का महत्त्व

परात्पर गुरु डॉ. आठवले

समाजसेवक, देशभक्त तथा धर्मनिष्ठ (हिन्दुत्वनिष्ठ) के साधना करने का महत्त्व ! : ‘साधना करने से हिन्दू धर्म का महत्त्व समझ में आता है तथा हिन्दू धर्म समझ में आने पर ही वास्तव में समाज, राष्ट्र तथा धर्म का कल्याण करने हेतु प्रयत्न हो पाते हैं ।’

गुरुकृपायोग के अनुसार साधना की श्रेष्ठता

गुरुकृपायोग विशेष सैद्धांतिक जानकारी न देकर केवल प्रत्यक्ष साधना कर उन्नति कैसे करें, यह सिखाता है ! : ‘गुरुकृपायोग में विशेष सैद्धांतिक जानकारी नहीं है; क्योंकि यह योग कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग इत्यादि योगों पर आधारित है । विविध योगों की विस्तृत तात्त्विक जानकारी निश्चित रूप से अनेक ग्रंथों में उपलब्ध है । गुरुकृपायोग केवल प्रायोगिक साधना करने के संदर्भ में योग है अर्थात प्रत्यक्ष साधना कर उन्नति कैसे करें यह गुरुकृपायोग सिखाता है ।’ गुरुकृपायोग में व्यष्टि साधना के अष्टांगों में सत्संग लेना, सत्सेवा करना तथा प्रीति ये समष्टि साधना से संबंधित हैं । (संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार’)