बलि प्रतिपदा का महत्त्व !
बलि प्रतिपदा के दिन भूमि पर पंचरंगी रंगोली द्वारा बलि एवं उनकी पत्नी विंध्यावली के चित्र बनाकर उनकी पूजा करते हैं । इसके पश्चात बलि के नाम पर दीप एवं वस्त्र का दान करते हैं ।
बलि प्रतिपदा के दिन भूमि पर पंचरंगी रंगोली द्वारा बलि एवं उनकी पत्नी विंध्यावली के चित्र बनाकर उनकी पूजा करते हैं । इसके पश्चात बलि के नाम पर दीप एवं वस्त्र का दान करते हैं ।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को, अर्थात यमदीपदान के दिन अपमृत्यु निवारणार्थ ‘श्री यमधर्मप्रीत्यर्थं यमतर्पणं करिष्ये ।’ ऐसा संकल्प कर यम के १४ नामों से तर्पण करें ।
बलि प्रतिपदा के दिन गोवर्धनपूजा करने की प्रथा है । भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन इंद्रपूजन के स्थान पर गोवर्धनपूजन आरंभ करवाया था । इसके स्मरणार्थ इस दिन गोवर्धन पूजन किया जाता है ।
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित कर उनको तिलक लगाया तथा अपने हाथों से स्वादिष्ट भोजन कराया ।
‘धन’ अर्थात शुद्ध लक्ष्मी ! इस दिन मनुष्य के पोषण हेतु सहायता करनेवाले धन (संपत्ति) की पूजा की जाती है ।
‘भाई उसकी रक्षा करे’, इसके लिए वह भाई की आरती उतारती है और तब भाई बहन को उपहार देता है । इस उपलक्ष्य में बहन को विशेष उपहार देने की पद्धति है ।