ईश्वर के प्रति भाव एवं निरपेक्षता से धर्मकार्य करनेवाले अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती का सूक्ष्म प्रयोग !

बाएं से अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती, डॉ. अमित थडानी, अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी, अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं बोलते हुए पू. रमानंद गौडा

१८ जून २०२३ को वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के पहले सत्र में ‘कर्नाटक के अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती की ओर देखकर क्या लगता है ?’, ऐसा सूक्ष्म प्रयोग लिया गया । इस अवसर पर सभागृह के बहुतांश हिन्दुत्वनिष्ठों को अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती की ओर देखकर आनंद लगा । गाजियाबाद (उत्तरप्रदेश) के डासना पीठ की यति माँ चेतनानंद सरस्वती ने कहा, ‘पी. कृष्णमूर्ती के मुखमंडल पर साधना का तेज है । उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वे धर्मनिष्ठ हैं और निष्ठापूर्वक धर्मकार्य करते हैं !’ अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती का आध्यात्मिक स्तर ६४ प्रतिशत है ।

अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती के एक भावमुद्रा

इस अवसर पर सनातन के धर्मप्रचारक पू. रामानंद गौडा ने अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती की आध्यात्मिक गुणविशेषताएं बताईं । वे बोले, ‘‘अधिवक्ता कृष्णमूर्ती भगवान के अनुसंधान में रहते हैं । उनका नामजप सतत चलता रहता है । प्रवास के समय वे अपने वाहन में इंदौर (मध्यप्रदेश) के महान संत एवं सनातन के श्रद्धास्थान प.पू. भक्तराज महाराजजी के भजन लगाते हैं । भजन सुनते समय उनकी आंखों में भावाश्रु आते हैं । धर्मकार्य के लिए वे अपने निजी खर्च कर विविध गांवों में जाकर हिन्दुत्वनिष्ठों की कानूनी सहायता करते हैं । उनका कार्य निरपेक्ष होता है । आजकल वे कर्नाटक में हिन्दुत्व के कार्य के लिए अधिवक्ताओं का संगठन कर रहे हैं । व्यष्टि साधना एवं धर्मप्रसार के समष्टि कार्य करने का वे एक उत्तम उदाहरण हैं ।

कुछ माह पूर्व अधिवक्ता कृष्णमूर्ती पर प्राणघातक आक्रमण हुआ था । तब भगवान श्रीकृष्ण एवं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने उनकी रक्षा की, ऐसा उनका भाव है । वे एक धर्मवीर हैं ।’’