मकर संक्रांति (१४ जनवरी)

तिल का उपयोग : संक्रांति पर तिल का अनेक ढंग से उपयोग करते हैं, उदा. तिल युक्त जल से स्नान कर तिल के लड्डू खाना एवं दूसरों को देना, ब्राह्मणों को तिलदान, शिवमंदिर में तिल के तेल से दीप जलाना, पितृश्राद्ध करना (इसमें तिलांजलि देते हैं) ।

पत्रकारिता की कोई भी शिक्षा न लेते हुए भी सनातन प्रभात के पत्रकार और संपादकों के लेखन से राष्‍ट्र और धर्म के संदर्भ में सुपरिणामकारक जागृति होना

सनातन प्रभात को ईश्‍वर और संतों के आशीर्वाद प्राप्‍त होने से वह चैतन्‍यमय हो गया है ।

सनातन प्रभात का महत्त्व !

सनातन प्रभात के लिए समाचार संकलन, वितरण, लेखा रखना इत्‍यादि सेवा करने से समष्‍टि पुण्‍य मिलता है । यह सेवा करनेवाले कुछ साधकों की आध्‍यात्मिक उन्‍नति भी हुई है ।’
– परात्‍पर गुरु परशराम पांडे, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल. (११.९.२०१६) 

वर्ष २०२० की वास्‍तविकता !

आज वास्‍तव में देखा जाए, तो कोरोना महामारी के कारण पिछले ६ महीने से भी अधिक समय से देश ठप्‍प हुआ है । भले ही ऐसा हो; परंतु ‘सनातन प्रभात’ के माध्‍यम से इस महामारी का सामना करने के लिए विविध उपाय निरंतर प्रकाशित किए जा रहे हैं ।

मन में आनेवाले प्रश्‍नों के उत्तर ‘सनातन प्रभात’ से २ – ४ दिनों में मिलना, यह एक आश्‍चर्य !

ऐसी कई घटनाएं हुई है कि मेरे सामने किसी सार्वजनिक कार्य संबंधी प्रश्‍न आया, तो उसका उत्तर २ – ४ दिनों में ही ‘सनातन प्रभात’ से पढने को मिलता है । मुझे इसका आश्‍चर्य होता है ।

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ संबंधी पाठकों के विचार

हिन्दुओं को जागृत करने के लिए ‘सनातन प्रभात’ सबसे अच्छी पत्रिका है । मेरी इच्छा है कि यह पत्रिका अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे ।

चैतन्य के स्तर पर साधक एवं पाठक सनातन प्रभात का लाभ लें, इस हेतु निरंतर प्रयासरत रहनेवाले परात्पर गुरु पांडे महाराजजी !

दैनिक सनातन प्रभात का चैतन्य घटे नहीं, इसलिए ‘दैनिक का प्रत्येक शब्द अचूक हो’, इस हेतु वे अविरत रूप से आयु के ९२ वें वर्ष में भी तडप से अविरत प्रयासरत थे ।

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा आध्‍यात्मिक पत्रकारिता के माध्‍यम से चलाया गया सामाजिक अभियान !

‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों में घटी हुई घटनाओं पर कानून के दायरे में रहकर दृष्‍टिकोण दिए जाते हैं । कानून के दायरे में रहकर ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों के माध्‍यम से बडी मात्रा में जनजागरण किया जा रहा है ।

‘सनातन प्रभात’, केवल समाचार-पत्र नहीं, अपितु एक सैनिक भी !

‘सनातन प्रभात’ प्रारंभ होने पर उसमें पहले समाजसेवा, राष्‍ट्ररक्षा और धर्मजागृति के उद्देश्‍य से समाचार और लेख आते थे ।

सनातन प्रभात द्वारा अंगीकृत उच्‍च आध्‍यात्मिक विचारधारा ही सनातन प्रभात और अन्‍य समाचार-पत्रों में मूलभूत भेद !

‘सनातन प्रभात की सेवा करते समय साधकोंको आनन्‍द मिलता है । १२-१३ घण्‍टों तक सेवा करनेपर भी उत्‍साह बना रहता है ।