चैतन्य के स्तर पर साधक एवं पाठक सनातन प्रभात का लाभ लें, इस हेतु निरंतर प्रयासरत रहनेवाले परात्पर गुरु पांडे महाराजजी !

परात्पर गुरु पांडे महाराजजी

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के संकल्प और अनेक संतों के आशीर्वाद से दैनिक सनातन प्रभात पिछले २० वर्ष से अखंड रूप से हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए कार्यरत है । सनातन प्रभात के विचारों को ऊंचाई तक पहुंचाने में अनेक संतों के आशीर्वाद के साथ ही परात्पर गुरु पांडे महाराजजी का योगदान बहुत बडा है । परात्पर गुरु पांडे महाराजजी यद्यपि देह से अभी नहीं हैं, तो भी उनका अनमोल मार्गदर्शन सदैव हमारे साथ है ।

वैद्या (कु.) माया पाटील

दैनिक सनातन प्रभात का चैतन्य घटे नहीं, इसलिए ‘दैनिक का प्रत्येक शब्द अचूक हो’, इस हेतु वे अविरत रूप से आयु के ९२ वें वर्ष में भी तडप से अविरत प्रयासरत थे । प्रतिदिन दैनिक सनातन प्रभात का अध्ययन कर उसकी चूकें वे हमें दिखाते थे । उन्हें सुधारने के लिए जैसे वे दैनिक सनातन प्रभात में सेवा ही कर रहे हैं, इस भाव से तडप के साथ प्रयासरत रहते थे । परात्पर गुरु पांडे महाराजजी और दैनिक सनातन प्रभात का अटूट संबंध था । ईश्‍वर के संकल्प एवं चैतन्य से भारित दैनिक सनातन प्रभात का धर्मजागृति, हिन्दू-संगठन और राष्ट्ररक्षा का लाभ साधकों के साथ ही पाठक, हितचिंतक और हिन्दुत्वनिष्ठों को भी हो इस हेतु वे बहुत लगन से प्रयास करते थे । इन प्रयासों में एक प्रसंग अभी भी स्मरण में है ।

दैनिक सनातन प्रभात के चैतन्य के कारण इस दैनिक का पठन करेवाले प्रत्येक पाठक को चैतन्य मिलता है । इस चैतन्य के परिणामस्वरूप पाठक का आत्मचैतन्य जागृत होता है और उसका लाभ उसे होता है । वास्तव में प्रत्येक पाठक इसी भाव से पत्रिका का पठन करे इस हेतु उन्होंने सनातन प्रभात के पृष्ठ क्रमांक १ पर ‘आत्मचैतन्य का स्रोत जागृत करनेवाला नियतकालिक’, यह वाक्य ‘सनातन प्रभात’ नाम के ऊपर दिखाई दे ऐसा लिखने का सुझाव दिया । सनातन प्रभात ने उनकी इस सूचना का पालन किया । अन्य संतों ने उसमें और परिवर्तन सुझाए । इसलिए अब ‘आत्मचैतन्य के अज्ञान का आवरण दूर करनेवाला दैनिक’ ऐसा लिखकर प्रकाशित कर रहे हैं ।

परात्पर गुरु पांडे महाराजजी सगुण से नहीं हैं, तो भी निर्गुण से उनके विचारों के माध्यम से वे निरंतर हमारे साथ हैं । उनकी कृपादृष्टि हम सभी साधकों पर रहे, ऐसी उनके चरणों में भावपूर्ण प्रार्थना है !

समय-समय पर परात्पर गुरु पांडे महाराजजी का किया गया अमूल्य मार्गदर्शन हमारे लिए आज भी प्रेरणादायी है, इसलिए हम सभी उनके चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करते हैं !

– वैद्या (कु.) माया पाटील, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.

पाठकों को संकटकाल में आधार देनेवाला ‘सनातन प्रभात’ !

कोरोना संकट की पृष्ठभूमि पर यातायात बंदी के समय परात्पर गुरु डॉक्टरजी के संदेशानुसार की जानेवाली आपातकालीन व्यवस्था के संदर्भ में ‘सनातन प्रभात’ में जानकारी मिलने से आवश्यक अनाज का संग्रह किया, तथा धर्मसत्संग सुनने के कारण घोर आपातकाल का भय अल्प होकर मन स्थिर हुआ । परमपूज्य डॉक्टरजी हम सभी का कितना ध्यान रखते हैं, ऐसी श्रद्धा और भाव उत्पन्न होकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त हो रही है ।
श्रीमती शकुंतला नाईक, बाळ्ळी, गोवा.

‘सनातन प्रभात’ में सबकुछ सत्य एवं निर्भीकता से लिखा जाता है !

‘अन्य समाचार-पत्रों के पत्रकार सरकार से बंधे होते हैं । वे कभी सत्य लिखने का साहस नहीं करते; परंतु ‘सनातन प्रभात’ में सबकुछ सत्य एवं निर्भीकता से लिखा जाता है । ‘सनातन प्रभात’ के विचार अच्छे होते हैं । मैं इन विचारों को महत्त्व देता हूं ।’

– श्री. मधुकर पुजारी साधले, कवळे, फोंडा, गोवा. (वर्ष २०१२)

हिन्दू राष्ट्र की ज्योत हृदय में अखंड प्रज्वलित
रखने के लिए ‘सनातन प्रभात’ ही काम आएगा !

हमारे दैनंदिन पठन में अनेक समाचार-पत्र आते हैं और उसमें सत्य घटना की अपेक्षा भडकीले समाचार देने का भाग अधिक होता है । ‘घटना घटी और उसकी संपूर्ण जानकारी मिली’, ऐसा नहीं होता, अपितु उसमें और कुछ शब्द घुसाकर वह समाचार जनता तक पहुंचाया जाता है । जनता के लिए क्या आवश्यक है, इसका विचार बहुत अल्प होता है । दैनिक ‘सनातन प्रभात’ में ‘हमारी संस्कृति के लिए क्या पोषक है ? जिस कारण हमारे राष्ट्र और धर्म की रक्षा होगी’, इस नीति का पूर्णत: पालन कर समाचार प्रकाशित किए जाते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने कितना सार्थक नाम दिया है इस नियतकालिक को – ‘सनातन प्रभात’ ! केवल नाम पढकर ही किसी को स्फूर्ति आएगी । किसी में राष्ट्राभिमान होगा, तो उसके हृदय की उस ज्योति को चेताया जाएगा । कोरोना महामारी के कारण पिछले ३ मास से चल रहे आपातकाल में अपने परिवार में रहकर क्या-क्या लाभ हुए हैं, सत्संग, बालसंस्कार इत्यादि माध्यम से जनता को इसका मानसिक आधार दिया गया है । इनमें से कितने लोगों ने साधना आरंभ की । संपूर्ण भारत में नहीं; अपितु पूरे जगत में इसका प्रसार हुआ और उससे हमारे हिन्दू धर्म को एक नवचेतना मिली है । छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर, संत ज्ञानेश्‍वर ऐसे अनेक महान रत्नों ने हिन्दू राष्ट्र की ज्योति प्रज्वलित करके रखी । वह ज्योति हमारे हृदय में अखंड प्रज्वलित रखने के लिए ‘सनातन प्रभात’ ही काम आएगा और हिन्दू राष्ट्र की प्रभात उज्वल होने के लिए प्रत्येक घर में यह ज्योति जलानी होगी !

– श्रीमती सुविधा फडके, शिवनाथी, शिरोडा, गोवा.