साधना करने के कारण जीवन के कठिनतम प्रसंगों में भी व्यक्ति स्थिर रहकर उसका सामना कर सकता है ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी, हिन्दू जनजागृति समिति
अहं खेत में उगनेवाले खरपतवार जैसा है, जिसे पूर्णतया नष्ट किए बिना ईश्वर कृपा की फसल नहीं उगती । इसलिए निरंतर इसकी कटाई करते रहना चाहिए । इसके साथ ही साथ ईश्वर के प्रति भाव होना भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।