साधना करने के कारण जीवन के कठिनतम प्रसंगों में भी व्यक्ति स्थिर रहकर उसका सामना कर सकता है ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी, हिन्दू जनजागृति समिति

अहं खेत में उगनेवाले खरपतवार जैसा है, जिसे पूर्णतया नष्‍ट किए बिना ईश्‍वर कृपा की फसल नहीं उगती । इसलिए निरंतर इसकी कटाई करते रहना चाहिए । इसके साथ ही साथ ईश्‍वर के प्रति भाव होना भी अत्‍यंत महत्त्वपूर्ण है ।

साधको, वैकल्पिक स्थान पर घर अथवा स्थान खरीदते अथवा किराए पर लेते समय होनेवाली ठगी से बचने के लिए सतर्क रहें !

साधक स्‍थलांतरित होते समय अलग-अलग गांवों अथवा तहसील में अकेले न रहें तथा साधना की दृष्‍टि से परस्‍पर पूरक होने के लिए सुविधाजनक किसी एक गांव में अथवा तहसील में आस-पास घर लेकर रहने का नियोजन करें ।

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कार्यशाला में जिज्ञासुओं के लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का मार्गदर्शन

परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी ‘स्‍पिरिच्‍युअल साइन्‍स रिसर्च फाउंडेशन’ संस्‍था के प्रेरणास्रोत हैं । पूरे विश्‍व में अध्‍यात्‍मप्रसार करने हेतु उन्‍होंने ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ की स्‍थापना की है ।

सनातन संस्‍था के हितचिंतक श्री. सचिन कपिल के पिताजी की मृत्‍यु के उपरांत तेरहवीं के दिन पर ‘ऑनलाइन साधना सत्‍संग’ का आयोजन !

मृत्‍यु के उपरांत पूर्वजों की अतृप्‍त आत्‍मा को सद़्‍गति मिलने के लिए हमें क्‍या प्रयास करने चाहिए, पूर्वजों से होनेवाले कष्‍ट निवारण हेतु भगवान दत्तात्रेय के नामजप का महत्त्व, साधना और कालानुसार नामजप का महत्त्व आदि विषयों पर हिन्‍दू जनजागृति समिति के प्रवक्‍ता श्री. नरेंद्र सुर्वे ने अपने विचार प्रस्‍तुत किए ।

३१ दिसंबर मनाना एक दिन का धर्मांतरण ही है ! – श्री. शंभू गवारे, पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत, हिन्दू् जनजागृति समिति

पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत के झारखंड, बंगाल, असम, मेघालय और त्रिपुरा, इन राज्‍यों के धर्मनिष्‍ठ हिन्‍दुत्‍ववादी लोगों के लिए ‘ऑनलाइन बैठकों’ का आयोजन किया गया ! हिन्‍दू राष्‍ट्र जागृति ‘ऑनलाइन बैठक’ में जागृत हिन्‍दूओं ने लिए १ जनवरी को नया वर्ष न मनाने की शपथ !

‘स्‍वयं की चल एवं अचल संपत्ति का ‘सत्‍पात्रे दान’ हो; इस उद्देश्‍य से सनातन संस्‍था को दान देने के लिए इच्‍छुक हों, तो अपने जीवनकाल में ही उसका अर्पण दें !

‘सनातन संस्‍था विगत अनेक वर्षों से निःस्‍वार्थ भाव तथा निरपेक्ष वृत्ति से धर्मप्रसार का कार्य कर रही है । पूरे भारत के विविध स्‍थानों के साधक अविरत रूप से धर्मप्रसार का कार्य कर रहे हैं तथा इस कार्य में अनेक पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमी जुडे हैं । सनातन संस्‍था का कार्य देखकर अनेक लोग संस्‍था को विविध रूप में अर्पण देते हैं ।

भूमि खरीद और ठेकेदार से घर का निर्माण करवाते समय संभावित धोखाधडी टालने हेतु कानूनी बातों की आपूर्ति करें !

अनेक बार हम खाली भूमि खरीदते हैं अथवा खाली भूमि पर निर्माणकार्य करते हैं । सर्वप्रथम आपातकाल की दृष्टि से निर्माणकार्य के लिए भूमि का चुनाव करते समय उसके सभी मापदंडों की पडताल करें । खाली भूमि खरीदते समय अथवा उस पर निर्माणकार्य करने से पूर्व अनेक दस्तावेजों की पडताल कर लेना महत्त्वपूर्ण होता है ।

सनातन-निर्मित सर्वांगस्पर्शी अनमोल आध्यामत्मिक ग्रंथसंपदा सभी भारतीय भाषाओं में प्रकाशित हो; इसके लिए ग्रंथनिर्मिति की व्यापक सेवा में सम्मिालित हों !

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी जिन ग्रंथों का संकलन कर रहे हैं, उन ग्रंथों में से नवंबर २०२० तक केवल ३२९ से अधिक ग्रंथ-लघुग्रंथों की निर्मिति हो पाई है तथा अन्‍य लगभग ६ सहस्र से भी अधिक आध्‍यात्मिक ग्रंंथों की निर्मिति की प्रक्रिया तीव्रगति से हो, इसके लिए अनेक लोगों की सहायता की आवश्‍यकता है ।

हिन्दु्ओ, राष्ट्र् एवं धर्म हानि रोकने हेतु जागृत हों !

‘धर्म’ राष्‍ट्र का प्राण है । राष्‍ट्र एवं धर्म की रक्षा करनी हो, तो उस विषय में समाज में वैचारिक क्रांति की ज्‍वाला भडकाना आवश्‍यक है । ऐसी वैचारिक क्रांति से प्रेरित समाज ही अपनी, अपने परिवार की, समाज की और राष्‍ट्र की रक्षा करेगा, यह बतानेवाली ग्रंथमाला !

देवता को भावपूर्ण भोग चढाकर उसे ‘प्रसाद’ के भाव से ग्रहण करने पर व्यक्ति को मिलनेवाले आध्यात्मिक लाभ !

‘हिन्‍दू धर्म में देवता को भोग चढाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है । ‘देवता को भोग चढाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करनेवाले व्‍यक्‍ति पर आध्‍यात्मिक दृष्‍टि से क्‍या परिणाम होता है ?’ परीक्षण में प्राप्‍त निरीक्षणों का विवेचन, उनसे प्राप्‍त निष्‍कर्ष और उनका अध्‍यात्‍मशास्‍त्रीय विश्‍लेषण आगे दिया गया है ।