भूमि खरीद और ठेकेदार से घर का निर्माण करवाते समय संभावित धोखाधडी टालने हेतु कानूनी बातों की आपूर्ति करें !

श्री. मधुसूदन कुलकर्णी

     अनेक बार हम खाली भूमि खरीदते हैं अथवा खाली भूमि पर निर्माणकार्य करते हैं । सर्वप्रथम आपातकाल की दृष्टि से निर्माणकार्य के लिए भूमि का चुनाव करते समय उसके सभी मापदंडों की पडताल करें । खाली भूमि खरीदते समय अथवा उस पर निर्माणकार्य करने से पूर्व अनेक दस्तावेजों की पडताल कर लेना महत्त्वपूर्ण होता है । उस भूमि पर निर्माणकार्य करना हो, तो उसके लिए भी अनेक दस्तावेजों की आपूर्ति करनी पडती है । इस संदर्भ में हमारा ज्ञान अत्यल्प होने से हमें संबधित निर्माणकार्य व्यवसायी पर (बिल्डर पर) निर्भर रहना पडता है । वह जो कहे, वह करना पडता है । ऐसे समय में उसमें निहित बारीकियां ज्ञात न होने से सर्वसामान्य लोगों के साथ धोखाधडी होने की बडी संभावना होती है । इस प्रकार की धोखाधडी टालने हेतु कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए, हम इस लेख से इसे जानेंगे।

१. भूमि के सभी दस्तावेजों की कानूनी दृष्टि से वैध होने की आश्‍वस्तता करें !

     खाली भूमि खरीदते समय उस भूमि के सभी कागदपत्रों की कानूनी दृष्टि से वैध होने की आश्‍वस्तता करना महत्त्वपूर्ण होता है । इसके लिए हमें निम्नांकित बातों की आश्‍वस्तता कर लेना आवश्यक है ।

अ. हम जिस व्यक्ति से भूमि खरीद रहे हैं, उसके पास ही उस भूमि का स्वामित्व होने की आश्‍वस्तता करें ।

(*) आ. हम जिस व्यक्ति से भूमि खरीदनेवाले हैं, उस व्यक्ति के पास उस भूमि का स्वामित्व है, इसकी आश्‍वस्तता करने के लिए ६ ड के अंतर्गत बदलाव की प्रविष्टियां, साथ ही पटवारे की बही देखें । यदि हम शहर में भूमि ले रहे हों, तो पूर्णरूप से संपत्तिपत्रक का अध्ययन करें ।

(*) इ. उस भूमि पर किसी का अतिक्रमण तो नहीं है, उस भूमि को गिरवी रखकर किसी प्रकार का ऋण नहीं लिया गया है (गिरवी होने पर उसकी प्रविष्टि पटवारे की बही उतारे पर होती ही है, ऐसा नहीं है ।), साथ ही उस भूमि के संबंध में किसी प्रकार के विवाद नहीं हैं, इसकी आश्‍वस्तता करें ।

(*) ई. हमें दिखाई जा रही भूमि और पटवारे की बही उतारे पर प्रविष्ट भूमि एक ही है न, इसकी आश्‍वस्तता करें । साथ ही वह उतारा ३ महीने की अवधि का होना चाहिए । पटवारे की बही उतारे पर प्रविष्ट क्षेत्रफल और दिखाया जा रहा क्षेत्रफल एक ही है न, इसकी आश्‍वस्तता करें । वैसा नहीं हो, तो सिटी सर्वे मानचित्र अथवा गणना मानपत्र में सुधार करना आवश्यक है ।

उ. इस भूमि को मुख्य सडक से जोडनेवाली सडक है और उसके संबंध में किसी प्रकार का विवाद नहीं है, इसकी आश्‍वस्तता करें । साथ ही इस सडक की चौडाई की पडताल करें । यह निजी सडक नहीं है, अपितु उसकी प्रविष्टि सरकारी सडक के रूप में होने की तथा उस परिप्रेक्ष्य में इमारत के निर्माणकार्य की अनुमति मिलती है, इसकी आश्‍वस्तता करें ।

ऊ. हमें दिखाई जा रही भूमि अन्य किसी को बेची नहीं गई है, इसकी आश्‍वस्तता करें । इसके लिए वह भूमि जिस क्षेत्र में है, वहां के द्वितीय वर्ग निबंधक (रजिस्ट्रार) कार्यालय जाकर, साथ ही गांव का पटवारी, तहसील भूमि अभिलेख कार्यालय; इनमें से लागू कार्यालय से उसकी आश्‍वस्तता करें ।

ए. खरीद के पूर्व सभी दस्तावेज अनुभवी स्थापत्य अभियंता (सिविल इंजीनियर) और अधिवक्ता को दिखाएं, साथ ही उस भूमि के मूल्य के संबंध में उनसे सुझाव लें । उसके उपरांत ही उस भूमि को खरीदने का निर्णय लें ।

ऐ. भूमि खरीदने का निश्‍चित होने के उपरांत स्वामित्व अधिकारपत्र, साथ ही उक्त उल्लेखित सभी दस्तावेतों को उस क्षेत्र के जानकार अधिवक्ता को दिखाकर भूमि खरीद में किसी प्रकार की कानूनी बाधाएं तो नहीं हैं न, अधिवक्ता द्वारा इसका खोज ब्यौरा (सर्च रिपोर्ट) और टाइटल ओपिनियन (स्वामित्व के संबंध में मत) लें । उसके पश्‍चात ही अगली कार्यवाही करें ।

ओ. वहां के सर्वाधिक बिक्रीवाले स्थानीय समाचारपत्र में अपने अधिवक्ता से खरीदपूर्व सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करें। उस सूचना में उस भूमि का पूरा विवरण देकर हम यह भूमि खरीद रहे हैं । इस संबंध में किसी को कोई अपत्ति हो, तो वे भूमि के मूल दस्तावेज लेकर ८ से १५ दिनों में हमारे अधिवक्ता को सूचित करें और दस्तावेजों की वैधता एवं प्रामाणिकता समझाएं का लेख प्रकाशित कर उसमें अपने अधिवक्ता का विवरण दें । इस संदर्भ में किसी ने आपत्ति नहीं दर्शाई, तभी वह भूमि खरीदें । संबंधित कार्यालय से इस भूमि का अतिक्रमण रद्द (नॉन एन्कंबरेंस) प्रमाणपत्र लें ।

२. खाली भूमि पर निर्माणकार्य करते समय निम्नांकित दस्तावेजों की आश्‍वस्तता करें

     हमारी भूमि ग्रामपंचायत अथवा नगरपालिका के क्षेत्र में होने पर भी निर्माणकार्य की अनुमति लेने के लिए उस निर्माणकार्य का संकल्पित मानचित्र प्रस्तुत करना पडता है । अनुमति के लिए यह मानचित्र संबंधित विभाग को प्रस्तुत करते समय उस पर निर्माण अभियंता के (सिविल इंजीनियर) अथवा गृहशिल्पकार के (आर्किटेक्ट के) हस्ताक्षर होने चाहिए, तभी वह मानचित्र पारित होता है, अन्यथा नहीं !

     अनेक बार इस मानचित्र पर निर्माण व्यवसायी के हस्ताक्षर होते हैं; परंतु वह व्यवसायी निर्माण अभियंता (सिविल इंजीनियर) होता ही है, ऐसा नहीं होता । इस कारण से हमारे साथ धोखाधडी होने की संभावना अधिक होती है । इसलिए खाली भूमि पर निर्माणकार्य करते समय धोखाधडी टालने हेतु निम्नांकित दस्तावेजों की पडताल कर लेनी चाहिए ।

अ. विशेषज्ञ से भूमि का सातबारा उतारा और संकल्पित मानचित्र की पडताल करवाएं ।

आ. नगरपालिका अथवा ग्रामपंचायत के नियमों के अनुसार उस भूमि पर निर्माणकार्य का मानचित्र सही बैठने की आश्‍वस्तता करें । निर्माणकार्य का क्षेत्रफल नियम के अनुसार है न (स्वीकृत एफएसआई), इसकी आश्‍वस्तता करें ।

(*) इ. पारित मानचित्र पर निर्माण अभियंता अथवा आर्किटेक्ट के हस्ताक्षर होने की आश्‍वस्तता करें ।

* टिप्पणी : संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ निर्माण अभियंता और अधिवक्ता से उक्त दस्तावेजों की आश्‍वस्तता करवाएं ।

३. खाली भूमि पर निर्माणकार्य करते समय ठेकेदार (कॉन्ट्रैक्टर) अथवा निर्माण
व्यवसायी (बिल्डर) के साथ समन्वय का अथवा अन्य लिखित अनुबंध करते समय आवश्यक सूत्र

     खाली भूमि पर निर्माणकार्य करते समय हम जिसे निर्माणकार्य सौंपते हैं, उस निर्माण व्यवसायी अथवा ठेकेदार के साथ उस तहसील के द्वितीय वर्ग निबंधक (रजिस्ट्रार) के पास लिखित अनुबंध करना पडता है, जिससे कोई विवाद होने पर हम न्यायालय जा सकते हैं । (कुछ बिल्डर लिखित अनुबंध करना टालते हैं) । यह अनुबंध कराते समय उसमें निम्नांकित सूत्रों का होना आवश्यक है ।

अ. निर्माण व्यवसायी निर्माणकार्य के जो भाव बता रहा है, उस भाव में निर्माणक्षेत्र किस प्रकार नापा जाएगा (कारपेट एरिया, बिल्टअप एरिया, सुपर बिल्टअप एरिया में से जो है वह) उसका उल्लेख होना आवश्यक है । सुनिश्‍चित भाव वस्तु एवं सेवा कर सहित (जीएसटी) होना चाहिए और उस प्रकार अनुबंध में लिखा होना चाहिए ।

आ. अपने निर्माणकार्य के लिए निर्माण व्यवसायी द्वारा जीएसटी कर के अंतर्गत, साथ ही सीधा आयकर कटौती के अंतर्गत पंजीकरण होता है क्या, इसे जानना आवश्यक है । साथ ही क्या हमारा निर्माणकार्य रेरा (Real Estate Regulatory Authority) कानून के अंतर्गत है, यह देखें ।

* इ. निर्माणकार्य करते समय उपयोग की जानेवाली सामग्री, निर्माणकार्य की गुणवत्ता और निर्माणकार्य पूरा करने में लगनेवाली अवधि का उल्लेख होना चाहिए ।

ई. गांव में निर्माणकार्य करनेवाले ठेकेदार अथवा बिल्डर की विश्‍वसनीयता है, साथ ही उनके द्वारा पहले किए गए काम अपने अभियंता को दिखाकर उसके गुणवत्तायुक्त होने की आश्‍वस्तता करें । ऐसा होने पर ही उनके साथ अनुबंध करें ।

उ. निर्माणकार्य आरंभ करने से पूर्व और कार्य के समय प्रत्येक चरण पर हमें उस निर्माण व्यवसायी को कुछ धनराशि देनी पडती है । यह सभी धनराशि केवल धनादेश के द्वारा (चेक) देनी चाहिए, साथ ही उसी समय उसकी पक्की रसीद लें। नकद धनराशि न दें । (यह धनराशि निर्धारित निर्माणकार्य के भाव के अनुसार सुनिश्‍चित क्षेत्र से गुना कर उसके अनुसार होगी ।)

ऊ. यह धनराशि देते समय दोनों के सामायिक परिचयवाले व्यक्ति की मध्यस्थता से देनी चाहिए । निर्माणकार्य की धनराशि देने के चरण निम्नानुसार हैं –

     इस पद्धति से लेन-देन करना आदर्श पद्धति है । विवेक के साथ इसमें थोडा-बहुत बदलाव हो सकता है । एक ही समय पूरी धनराशि देने से पैसे फंसने अथवा धोखाधडी होने की संभावना होती है ।

     इस प्रत्येक चरण पर इस प्रकार देनी आवश्यक धनराशि का उल्लेख लिखित पंजीकृत अनुबंध में होना आवश्यक है । यह शेड्युल तलमंजिल के निर्माणकार्य के लिए है । निर्माण व्यवसायी के मीठे शब्दों के झांसे में न आएं अथवा उससे प्रभावित न हों । निर्माणकार्य के लिए साक्षी बनाए जानेवाले व्यक्ति के विषय में अधिवक्ता से सुझाव लें । निर्माण व्यवसायी द्वारा अनुबंधपत्र दिए जाने के उपरांत अधिवक्ता से उसकी पडताल कर ही अंतिम अनुबंध करें । संभव हो, तो अनुबंध की बातें अथवा अनुबंध करते समय अपने परिचित निर्माण अभियंता को साथ में लेकर करें, जिससे धोखाधडी नहीं होगी ।

     कुछ निर्माण व्यवसायी काम मिलने हेतु मौखिक आश्‍वासन देने का प्रयास करते हैं तथा लिखित अनुबंध में उसका उल्लेख करने में टालमटोल करते हैं । उनकी बातों पर विश्‍वास न कर अथवा उसकी बलि न चढते हुए उन सभी सूत्रों को अनुबंधपत्र में लेना आवश्यक है । कभी-कभी निर्माणकार्य में बदलाव हुए तो निर्माण व्यवसायी से उसका लिखित रूप में अनुमानपत्रक लें और अपने परिचित निर्माण अभियंता और अधिवक्ता को दिखाएं ।

(सदनिका (प्लैट) के लिए भी सामान्यतः इसी चरणबद्ध पद्धति से देयक दे सकते हैं ।)

– श्री. मधुसूदन कुलकर्णी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (३१.१०.२०२०)