३८ लोगों को फांसी, तो ११ लोगों को आजीवन कारावास
बमविस्फोट जैसी गंभीर घटनाओं के प्रकरण में १४ वर्ष उपरांत न्यायालय का निर्णय आना, इसे न्याय नहीं, अपितु अन्याय ही कहना पडेगा ! इस व्यवस्था के कारण ही जिहादी आतंकी और अपराधियों को बल मिलता है, यह बात सरकार के कब ध्यान में आएगी ?