सेवानिवृत्त सेना अधिकारी के बेटे की कोरोना से मृत्य !
कोरोना काल में शासकीय प्रणालियों की सीमाएँ प्रतिदिन प्रकट हो रही हैं। ध्यान दें कि सभी पार्टीयों के शासक इस परिस्थिति के लिए जिम्मेदार हैं!
कोरोना काल में शासकीय प्रणालियों की सीमाएँ प्रतिदिन प्रकट हो रही हैं। ध्यान दें कि सभी पार्टीयों के शासक इस परिस्थिति के लिए जिम्मेदार हैं!
संपूर्ण भारत में काशी, गया और प्रयाग में अक्षय वटवृक्ष हैं । गया में इस वृक्ष के नीचे बैठकर पिंडदान किया जाता है एवं प्रयागराज में मुंडन किया जाता है, जबकि काशी में दंडी स्वामी को भोजन कराए जाने का महत्व है । इन तीन स्थानों में हनुमान जी का मंदिर है । गया में हनुमान बैठे हैं, प्रयागराज में लेटे हुए हैं और काशी में खडे हैं ।
लक्ष्मणपूरी (उत्तर प्रदेश) – कोरोना के युद्ध में धर्म और अध्यात्म का संबंध औषध के रुप में काम करेगा, ऐसा प्रतिपादन केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में किया । ‘कोरोना पीडितों को ठीक करने के लिए सस्वर रामचरितमानस का पठन करना भी वरदान सिद्ध हो सकता है’
मथुरा (उत्तर प्रदेश) – श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति के अध्यक्ष अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने यहां दीवानी न्यायालय में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का उत्खनन करने की मांग की है ।
अयोध्या (उत्तर प्रदेश) – कोरोना महामारी की बढती पृष्ठभूमि पर यहां के साधू और संतों ने श्रीनामनवमी के दिन अयोध्या आने की बजाय घरपर रहकर ही पूजा और अर्चना करें, ऐसा आवाहन किया है ।
लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ रही है । सरकारी लैब पर भार देखते हुए राज्य की निजी लैब में कोरोना की जांच करने की अनुमति दी गई है; लेकिन ऐसा दिखाई दे रहा है कि लक्ष्मणपुरी शहर की अनेक लैबों में जांच नहीं हो रही जिसका वृत्त ‘नवभारत टाइम्स’ ने दिया है ।
लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) – यहां के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने अपनी कोरोना पीडित पत्नी के उपचार के लिए प्रशासन से संपर्क किया था । प्रशासन द्वारा दिए गए दूरध्वनी क्रमांक पर संपर्क करने उपरांत भी उपचार न मिलने के कारण उसकी मृत्यु होने की घटना सामने आई है ।
मथुरा (उत्तर प्रदेश) – यहां के न्यायालय में भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि का प्रकरण प्रलंबित है ।
बदायूं (उत्तर प्रदेश) – यहां के मिहौना गांव में एक साधु की निर्मम हत्या करके उनका अर्धनग्न शरीर सडक के किनारे फेंक दिया गया । साधु का मुंह कुचला हुआ था एवं उनके शव को जलाने का भी प्रयास किया गया है ।
रामपंचायतन की यह मूर्ति अत्यंत सुंदर और विलोभनीय है । इस मूर्ति के मुख पर मनमोहक भाव है । उस मूर्ति में विशिष्ट प्रकार का आकर्षण है । इसलिए मनुष्य की दृष्टि उस पर से हटती नहीं ।