ईश्‍वरप्राप्‍ति की दिशा में मार्गक्रमण करनेवाले साधकों के पथदर्शक प्रीतिस्‍वरूप प.पू. भक्‍तराज महाराजजी के चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता !

‘भजन, भ्रमण और भंडारा’, इन ३ ‘भ’कारों से भक्‍तों का उद्धार करनेवाले मेरे गुरु प.पू. भक्‍तराज महाराजजी की आज १०१ वीं जयंती है !

कर्करोग जैसी दुःसाध्य बीमारी में भी गुरुदेवजी के प्रति दृढ श्रद्धा के कारण आनंदित रहकर बीमारी का सामना करनेवाले पू. डॉ. नंदकिशोर वेदजी !

पू. डॉ. नंदकिशोर वेदजी को रक्त का कर्करोग है, यह पता चलने पर भी वे गुरुदेवजी के प्रति दृढ श्रद्धा के कारण स्थिर रह पाए ।

कोरोनारूपी आपातकाल हेतु मार्गदर्शक स्तंभ !

यह सिद्ध हो चुका है कि ‘नामजप न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए पूरक है, वह विविध विकारों के निर्मूलन के लिए लाभदायक भी है । वर्तमान कोरोना महामारी के काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के लिए योगासन, प्राणायाम, आयुर्वेदीय उपचार इत्यादि प्रयास समाज के लोग कर रहे हैं ।

साधकसंख्या अल्प होते हुए भी भावपूर्वक एवं लगन से गुरुकार्य करनेवाले अयोध्या के पू. डॉ. नंदकिशोर वेद !

डॉ. नंदकिशोर वेद से हमारा लगभग १७ वर्षाें से निकट का संबंध था । हम सभी प्रेम से उन्हें ‘नंदकिशोर काका’ कहते थे । मैं उत्तर भारत में सेवा हेतु आया, तब से अयोध्या केंद्र का दायित्व उन्हीं के पास था ।

समाज के जिज्ञासुओं और धर्मप्रेमियों द्वारा पू. माधव साठेजी के संदर्भ में व्यक्त मनोगत !

२३.४.२०२१ को पू. माधव साठेजी ने देहत्याग किया । इस अवसर पर कल्याण के जिज्ञासुओं और धर्मप्रेमियों के ध्यान में आई पू. साठेजी की गुणविशेषताएं और उनसे सीखने मिले महत्त्वपूर्ण सूत्र इस लेख में प्रकाशित कर रहे हैं ।

कठिन प्रसंग में भी कृतज्ञभाव में रहनेवाले और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति अपार भाव रखनेवाले कल्याण (ठाणे) के स्व. माधव साठे (आयु ७५ वर्ष) संतपद पर विराजमान !

कल्याण, जिला ठाणे – यहां के श्री. माधव साठे वर्ष १९९८ से सनातन के मार्गदर्शन में साधना कर रहे थे । परात्पर गुरु डॉक्टरजी पर उनकी अपार श्रद्धा थी । साधना की तीव्र लगन के कारण उन्होंने मन लगाकर व्यष्टि और समष्टि साधना की । वर्ष २०१२ में उनका आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत घोषित किया गया था ।

धर्म की पुनर्स्थापना के लिए जन्म लिए तीन गुरु – परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी, श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी जैसे ‘गुरु’ पृथ्वी पर अन्य कोई नहीं । पृथ्वी पर स्वयं को ‘गुरु’ कहलानेवालों में किंचित ही सही किंतु स्वार्थ होता है; परंतु परात्पर गुरु डॉक्टरजी स्वार्थ संबंधी कोई भी विचार नहीं करते ।

सनातन की ८६ वीं संत पू. (श्रीमती) शालिनी माईणकरजी (आयु ९२ वर्ष) का देहत्याग

नम्रता, निरपेक्ष प्रीति आदि दैवी गुणों से युक्त और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति अनन्य भाव रखनेवालीं तथा वर्तमान में सनातन के रामनाथी आश्रम में निवास कर रहीं सनातन की ८६ वीं संत पू. शालिनी माईणकरजी (आयु ९२ वर्ष) ने ११ मई को रात १.३८ पर देहत्याग किया ।

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी में साधकों की समस्याओं का समाधान करने की विलक्षण क्षमता तथा साधकों को उनके प्रति लगनेवाला अपनापन

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से हुई एक भेंट में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के संदर्भ में बोलते हुए वे मुझसे कहने लगे, ‘‘उनका कितना अच्छा चल रहा है न ! उनके जैसा हमारे पास और कौन हैं ?’’ उनके ये उद्गार सुनने पर उनके प्रति मेरे ध्यान में आए सूत्र यहां दिए गए हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की एकरूपता के संदर्भ में साधकों को हुई अनुभूतियां

सनातन के साधकों को जैसी अनुभूति परात्पर गुरु डॉक्टरजी के संदर्भ में होती है, वैसी ही अनुभूति उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचितशक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के संदर्भ में भी होती हैं । इससे ‘गुरुतत्त्व एक ही है’, परात्पर गुरुदेवजी की इस सीख की प्रतीति होती है ।