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नई देहली – यहां की साकेत कोर्ट ने २४ साल पहले के एक मामले में नर्मदा बचाव आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर को दोषी करार दिया है।
देहली के वर्तमान उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ याचिका दायर की थी। सक्सेना जब ‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने मेधा पाटकर और नर्मदा बचाव आंदोलन के खिलाफ एक विज्ञापन जारी किया था। यह संस्था सरदार सरोवर परियोजना के पक्ष में थी। इसके बाद मेधा पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जबकि बाद में सक्सेना ने मेधा पाटकर पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था। कोर्ट ने इस मामले में निकाल देते हुए मेधा पाटकर को दोषी ठहराया। उन्हें २ साल कैद की सज़ा भी होने की संभावना है। इस संबंध में मेधा पाटकर की प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है।
कोर्ट ने फैसले में क्या कहा ?
१. मेधा पाटकर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दंडनीय अपराध किया है। इसलिए वे दोषी हैं। उन्होने जानबूझकर शिकायतकर्ता को बदनाम किया।
२. मेधा पाटकर द्वारा लगाए गए सभी आरोप केवल शिकायतकर्ता को बदनाम करने के लिए थे।
३. मेधा पाटकर के कृत्यों ने सक्सेना की प्रतिष्ठा और उनकी विश्वसनीयता को वास्तव में बडा नुकसान पहुंचाया है।