युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य की ध्वजा फहराते रखने हेतु ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !

युवा पीढी एवं अभिभावकों से विनम्र अनुरोध !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में कुछ साधक विगत २०-२५ वर्षाें से ग्रंथनिर्मिति की सेवा कर रहे हैं । अब ये साधक स्वयंपूर्णता के साथ अच्छे ढंग से ग्रंथ तैयार कर सकते हैं । अभी भी सनातन के ५ सहस्र से भी अधिक ग्रंथ तैयार करने हैं । वर्तमान समय में यह सेवा कर रहे साधक और २०-२५ वर्ष यह सेवा कर सकते हैं । उसके उपरांत इस ग्रंथकार्य का दायित्व संभालने हेतु ग्रंथसेवा की सभी सूक्ष्मताएं, दृष्टिकोण, सात्त्विकता की दृष्टि से मुखपृष्ठ तथा चित्र बनाना इत्यादि को गहराई से सीख लेना आवश्यक है । युवा साधक यदि अभी से ही इस सेवा सिखने का आरंभ करेंगे, उसके आगे १०-२० वर्षाें में यह सेवा करने हेतु स्वयंपूर्ण बन पाएंगे । सनातन के चैतन्यदायक ग्रंथकार्य की ध्वजा को फहराते रखने का संपूर्ण दायित्व अब युवा पीढी का ही है । ग्रंथसेवा श्रेष्ठ ज्ञानशक्ति के स्तर की सेवा होने से वह शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करा देनेवाली सेवा भी है । इसलिए युवकों, आपकी रूचि एवं क्षमता के अनुसार आप इस ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित होकर इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाएं ! अभिभावकों, आप भी आपके बच्चों एवं नातियों में विद्यमान गुणों को पहचान कर उन्हें इस नवीनतापूर्ण साधना-क्षेत्र की ओर मुडने हेतु प्रोत्साहित करें !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, भाषांतर, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति, ग्रंथछपाई से संबंधित आवश्यक सेवाएं इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने के इच्छुक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें । जिन्हें समाज में जाकर समष्टि साधना करना संभव नहीं है, वे घर पर रहकर संकलन एवं भाषांतर की सेवाएं भी कर सकते हैं । ग्रंथों से संबंधित सेवा करना भी परिणामकारी समष्टि साधना है ।

संपर्क क्रमांक : 8180968640, (0832) 2312664

ई-मेल : [email protected]

डाक पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, रामनाथी, फोंडा, गोवा ४०३ ४०१.’

– पू. संदीप आळशी, सनातन के ग्रंथों के संकलनकर्ता

(१९.७.२०२३)