नई देहली – पतंजलि आयुर्वेद के विरोध में गेर मार्ग पर ले जानेवाले विज्ञापन के प्रकरण में अब सर्वोच्च न्यायालय ने ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (‘आइ.एम.ए.’) को भी आडे हाथ लिया है । इस संगठन के अध्यक्षों को न्यायालय के वक्तव्य पर की हुई टिप्पणियां न्यायालय में प्रस्तुत करने को कहा गया है । इस अभियोग की सुनवाई के समय न्यायालय के खंडपीठ ने कहा था, ‘याचिकाकर्ता आइ.एम.ए. को भी स्वयं का घर व्यवस्थित रखने की आवश्यकता है । उनके डॉक्टर्स पर भी महंगी एवं अनावश्यक औषधियां लिख देने (प्रिस्क्राइब करने) का आरोप है । याद रहे, यदि तुम किसी को एक उंगली दिखाते हो, तो शेष उंगलियां तुम्हारी ओर होती है ।’ इस परामर्श पर आइ.एम.ए. के अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए न्यायालय की टिप्पणी पर प्रश्न उठाए थे ।
The Supreme Court warns Indian Medical Association chief over remarks on #Patanjali case proceedings.
If the #SupremeCourt suggests public apology from the #IMA President, it shouldn’t surprise anyone#BabaRamdev #SupremeCourtOfIndia pic.twitter.com/24SIVNPqeM
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) April 30, 2024
१. एक साक्षात्कार में अशोकन ने सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी पर कहा था कि यह भाषा उचित नहीं है । पतंजलि के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायालय का ध्यान इस ओर आकर्षित किया । उन्होंने न्यायालय से कहा, ‘मैंने आइ.एम.ए. के अध्यक्ष का साक्षात्कार देखा है । न्यायालय हमारी ओर अंगुलीनिर्देश क्यों कर रहा है ?’ ‘इस प्रकार की टिप्पणी अर्थात न्यायालयीन कामकाज में सीधे ही हस्तक्षेप करने समान है । सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी एक तरफा है एवं उन्हें इस प्रकार का आचरण नहीं करना चाहिए ।’ तब न्यायमूर्ति ने आपत्ति दिखाई। खंडपीठ ने कहा, ‘जो कुछ है, वह सभी न्यायालय में प्रस्तुत करें । यदि ऐसा कुछ हुआ, तो उसके परिणाम अभी जो कुछ हो रहा है, उससे भी गंभीर होंगे ।’
२. आइ.एम.ए. ने योगऋषि रामदेवबाबा एवं पतंजलि आयुर्वेद के विरुद्ध गैर मार्ग पर ले जानेवाले विज्ञापनों के प्रकरण में याचिका प्रविष्ट की थी । इस प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार योगऋषि रामदेवबाबा एवं पतंजलि आयुर्वेद को क्षमायाचना भी करनी पडी थी ।
संपादकीय भूमिकासर्वोच्च न्यायालय को इस अध्यक्ष को जाहेर में (खुलेआम) क्षमायाचना करने का आदेश देना होगा, ऐसा किसी को लगता है तो, इसमें आश्चर्य कैसा ! |