संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य संगठन का दावा
न्यूयार्क (अमेरिका) – संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य संगठन ने उसकी चेतावनी में कहा है कि कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती हुए कुल रोगियों में से केवल ८% रोगियों को जीवाणु के कारण संक्रमण होने का निदान हुआ है जिस पर प्रतिजैविकों द्वारा उपचार किया जा सकता है; परंतु प्रत्येक ४ रोगियों में से ३ रोगियों को कोई विशेष आवश्यकता न होते हुए भी दवाइयां दी गईं ।
१. वायरस, बैक्टीरिया और अन्य परजीवी कालांतर में प्रतिजैविक प्रतिकार विकसित करते हैं । ऐसी स्थिति में प्रतिजैविक और अन्य जीवनरक्षक दवाएं अनेक प्रकार के संक्रमणों पर परिणाम नहीं कर सकतीं । सभी प्रकार के प्रतिजैविकों को प्रतिरोध बने ‘सुपरबग्स’ इस जीवाणु का उदय और प्रसार रोकने के लिए प्रतिजैविकों का विचारपूर्वक प्रयोग करना महत्वपूर्ण है ।
२. संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता डॉ. मार्गारेट हैरिस ने बताया कि, वैश्विक महामारी के समय स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-१९ उपचारों के लिए प्रतिजैविकों का प्रयोग करने की सिफारिश नहीं की थी । ‘यह वायरस है’, ऐसी सलाह प्रारंभ से ही स्पष्टरूप से दी गई थी । इस कारण स्वास्थ्य कर्मचारियों को उस दिशा से उपाय योजना निकालनी चाहिए, ऐसे किसी भी प्रकार के मार्गदर्शक तत्व की अथवा कोई भी सिफारिश नहीं की थी; लेकिन कदाचित लोग पूर्णरूप से नई बातों का सामना करने से उन्हें सही लगेगा, ऐसा उपाय उन्होंने खोजा होगा ।
३. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि प्रतिजैविकों के प्रयोग के कारण कोविड-१९ संक्रमित लोगों की स्थिति में कोई भी विशेष सुधार नहीं दिखाई दिया । इसके बजाय उन्हें ऐसी दवाएं दी गईं। जीवाणु संक्रमण न होनेवाले लोगों को भी दवाएं दी गईं,जिससे उन्हें हानि भी पहुंच सकती है ।
४. संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पर जोर दिया कि, वर्तमान निष्कर्ष ऐसा दिखता है कि, रोगी और जनसंख्या पर नकारात्मक परिणाम टालने के लिए प्रतिजैविकों का प्रयोग तर्कसंगत होना आवश्यक है ।