मुसलमान कानून की परवाह नहीं करते, परंतु वे धार्मिक नेताओं की सुनते हैं ! – इंडोनेशियन उलेमा काउंसिल
(ग्रीन इस्लाम अर्थात पर्यावरण के विषय में जागरूक इस्लाम)
(इमाम अर्थात मस्जिद में प्रार्थना करवाने वाला)
जकार्ता (इंडोनेशिया) – सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्यावाले इंडोनेशिया में वर्तमान में ‘ग्रीन इस्लाम’, यह मुहिम चालू हुई है । ग्रीन इस्लाम का अर्थ ‘पर्यावरण के विषय में जागरूक रहने वाला इस्लाम’, ऐसा है । नसरुद्दीन उमर राजधानी जकार्ता की इस्तिकलाल मस्जिद के मुख्य इमाम हैं । उनके नेतृत्व में यह मुहिम चालू हुई है । उनके भाषणों में पर्यावरण प्रमुख विषय होता है । इस संबंध में ‘इंडोनेशियन उलेमा काउंसिल’ के पर्यावरण संरक्षण प्रमुख हायु प्रबोवो ने कहा कि मुसलमान कानून का पालन नहीं करेंगे । उन्हें इसकी परवाह नहीं; परंतु वे धार्मिक नेताओं की सुनते हैं; कारण उनके धार्मिक नेता कहते हैं कि, आप कानून से बच सकते हैं जबकि अल्लाह के बनाए कानून से नहीं । नसरुद्दीन उमर के इन प्रयासों की प्रविष्टि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी ली है ।
उमर अनेक बार चेतावनी देते हैं कि मानव के रूप में हमारा सबसे खतरनाक दोष यह है कि, हम पृथ्वी को केवल एक वस्तु मानते हैं । हम जितने लोभी होंगे, उतनी जल्द ही विश्व का अंत होगा । जिस प्रकार मुसलमान रमजान में उपवास करते हैं, इसी प्रकार पृथ्वी की रक्षा करना भी उन्हें अपना कर्तव्य समझना चाहिए । प्रतिदिन नमाज के समान पेड लगाने की भी आदत होनी चाहिए । ‘मुसलमानों को प्रकृति की चिंता करनी चाहिए’, प्रेषित मोहम्मद की सूचनाओं का पालन करना चाहिए ।