सूचना आयोग द्वारा सामने आया है कि १७ वर्षों के उपरांत भी कामकाज की जानकारी जालस्थल पर नहीं दी जाती !
मुंबई, १३ मार्च (वार्ता.) – सरकारी कामकाज में पारदर्शकता आए, इसलिए केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार का कानून बनाया । महाराष्ट्र में १२ अक्टूबर २००५ को यह कानून लागू किया गया; परंतु कानून लागू होकर १७ वर्ष हो गए, तब भी कुछ सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा अपने कामकाज की जानकारी जालस्थल पर न रखने का गंभीर प्रकार राज्य सूचना आयोग द्वारा उजागर किया गया है । इस विषय में समय रहते सूचना देकर भी प्राधिकरण इसकी ओर अनदेखी कर रहे हैं, इस कारण राज्य सूचना आयोग ने इस प्रकरण में संबंधित जन सूचना अधिकारियों पर अनुशासन-भंग की कार्यवाही करने का सरकार से आवाहन किया है ।
Public authorities in Maharashtra state unsupportive towards #RTI proceedings.
As disclosed by the State's Right to Information Commission, any substantial information about the administration's work is still not provided on their website.
👉 Even after 17 years of RTI, if… pic.twitter.com/n8dEz8ilQW
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 13, 2024
कुछ दिन पूर्व संपन्न हुए विधिमंडल के अधिवेशन में राज्य सूचना आयोग ने वर्ष २०२१ का वार्षिक विवरण प्रस्तुत किया । इसमें सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा कामकाज की जानकारी सार्वजनिक करने में की जा रही टालमटोल को राज्य सूचना आयोग ने उजागर किया है । इस विषय में राज्य के मुख्य सचिव को प्रति माह ब्योरा लेने की सूचना भी राज्य सूचना आयोग ने की है ।
सूचना के अधिकार के संदर्भ में सार्वजनिक प्राधिकरणों की उदासीनता !
प्रथम अपिलीय अधिकारियों के स्तर पर अपिलियों का निर्यात संतोषजनक एवं उचित मात्रा में होता नहीं है । इस कारण आयोग के पास आनेवाले अपिलियों की मात्रा बढती है । जन सूचना अधिकारी एवं अपिलीय प्राधिकारी के कनिष्ठ कर्मचारियों से काम सौंपने की मात्रा बढ रही है । वरिष्ठ अधिकारी दायित्व से दूर भागते हैं । अपिलियों के निवेदनों के विषय में सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा उदासीनता देखी जाने की खंत भी व्यक्त की है । राज्य सूचना आयोग द्वारा इस ब्योरे में सरकार से आवाहन किया गया है कि उनको इस विषय में उपाययोजना करनी जाहिए ।
क्या है अधिनियम !
सूचना अधिकार अधिनियम, २००५ राज्य में लागू होने के उपरांत उसकी धारा ४ के अनुसार अपने कामकाज के संदर्भ में जानकारी जालस्थल पर उजागर करना अनिवार्य है । इस की कार्यवाही के लिए उस समय १२० दिनों की समयमर्यादा भी दी गई थी । इस में अधिकाधिक जानकारी एवं अभिलेख जालस्थल पर रखना अपेक्षित है । सूचना आयोग द्वारा राज्य सरकार को समय समय पर सुझाया गया है कि यदि प्राधिकरण स्वयं यह जानकारी जालस्थल पर रखता है, तो सूचना विनती एवं अपील की मात्रा बडी मात्रा में अल्प होगी, साथ ही कारोबार में भी पारदर्शकता आएगी, परंतु अभी तक इस पर कार्यवाही नहीं हुई है । (जनता को जानकारी देने की टालमटोल करनेवाले अधिकारियों पर सरकार कार्यवाही करें ! – संपादक)
संपादकीय भूमिकाजनता से प्रतिबद्ध प्रशासन द्वारा जनता से ही जानकारी छुपाना, यह जनताद्रोह ही है ! |