Sanatan Sanstha At Ram Mandir : रामलला का पुन: राममंदिर में प्रतिष्ठापित होना रामराज्य का आरम्भ ! – श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा निलेश सिंगबाल, सनातन संस्था

श्रीराममंदिर उत्सव के लिए सनातन संस्था की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणियों की वंदनीय उपस्थिति !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा निलेश सिंगबाल तथा श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजलि मुकुल गाडगिल

अयोध्या (उत्तर प्रदेश) – श्रीरामजन्मभूमि के लिए ५०० वर्षों के लंबे संघर्ष के उपरांत रामजन्मभूमि मुक्त हुई तथा आज साक्षात प्रभु श्रीरामचंद्र के भव्य राममंदिर का निर्माण होकर रामलला की प्राणप्रतिष्ठा का समारोह हम देख रहे हैं, यह सनातन हिन्दूधर्मियों के लिए अत्यंत महत्व का दिवस है । देशभर के सभी संत-महात्माओं को सम्मान देकर और उनकी उपस्थिति में यह समारोह हो रहा है । रामलला का पुनः श्रीराममंदिर में प्रतिष्ठापित होना, यह राम राज्य का शुभारंभ है, ऐसे उद्गार सनातन संस्था की श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा निलेश सिंगबाल ने व्यक्त किए ।

ऐतिहासिक तथा अभूतपूर्व अयोध्या के श्रीराममंदिर की मूर्ति के भव्य दिव्य प्राणप्रतिष्ठा समारोह को सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा निलेश सिंगबाल तथा श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजलि मुकुल गाडगिल की वंदनीय उपस्थिति प्राप्त हुई । ‘श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास’ के मुख्य सचिव श्री चंपत राय ने सनातन संस्था की दोनों आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणियों को सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया था ।

कलियुगांतर्गत सतयुग की नवनिर्मिति के सूर्योदय का उगम ! – श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजलि मुकुल गाडगिल

‘आसेतुहिमालय से लेकर हिंदसागर तक प्रत्येक को एकता के बंधन में बांधने वाले श्रीराम एक अलौकिक राष्ट्रसूत्र हैं ! प्रत्येक के मन में श्रीराम मंदिर का निर्माण, यह न केवल अधर्म पर धर्म की विजय है; अपितु कलयुगांतर्गत सतयुग के नवनिर्मिति का, हिन्दुओं के अलौकिक ‘हिन्दूराष्ट्र निर्मिति’ का अर्थात स्वधर्माधिष्ट स्वराष्ट्र, सर्वशक्तिसंपन्न, सुव्यवस्थाप्रधान, सर्वसुविधायुक्त, सुखी, समृद्ध, सुसंस्कृत सुराज्य के सूर्योदय का उद्गम भी है, ऐसे उद्गार श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजलि मुकुल गाडगिल ने इस अवसर पर व्यक्त किए । दोनों उत्तराधिकारिणियां श्रीराम की मूर्ति प्रतिष्ठापना समारोह में सहभागी हो सकीं, इसलिए श्रीराम के प्रति कोटि-कोटि कृतज्ञता व्यक्त की ।