नई देहली – वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव के पूर्व चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लए विकलांग लोगों की दृष्टि से कुछ मार्गदर्शक नियम प्रसारित किए हैं । आयोग ने दल के सदस्यों को निर्देश देते हुए कहा है कि प्रचार के समय विकलांग लोगों के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते । इसमें ‘मूक’, ‘पागल’, ‘अंधा’, ‘एक आंख से काना’, ‘बहरा’, ‘लंगडा’, ‘निर्बल,’ ऐसे शब्द प्रयोग न किए जाएं । प्रचार के समय नेताओं के भाषण, सोशल मीडिया पोस्ट, विज्ञप्ति एवं प्रसिद्धि पत्रक में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते । इसका उल्लंघन करनेवालों को ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम २०१६’ की धारा ९२ के अंतर्गत ५ वर्ष तक के कारावास का दंड हो सकता है । आगे आयोग ने कहा कि दलों को विकलांग लोगों को सदस्य बनाना चाहिए । इस कारण चुनाव में विकलांग लोगों का सहभाग बढेगा ।
- मई २०२३ में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से विकलांग लोगों को घर बैठे मतदान करने की सुविधा !
- विकलांग लोगों के मतदान का औसतन प्रतिशत बढे, इसलिए चुनाव आयोग द्वारा पिछले कुछ समय से अनेक प्रयास !
- कर्नाटक विधानसभा चुनाव से उनके लिए विशेष सुविधा आरंभ !
- इसके अंतर्गत ४० प्रतिशत से अधिक विकलांग लोगों को घर बैठे मतदान करने की व्यवस्था !
- चुनाव की अधिसूचना जारी होने पर, तभी से विकलांग लोगों को १५ दिनों में एक फॉर्म भरना आवश्यक ! तदनंतर सरकारी कर्मचारी मतदान के लिए विकलांग लोगों के घर पहुंचते हैं । इस प्रक्रिया का चित्रीकरण भी किया जाता है ।
- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ एवं राजस्थान सहित ५ राज्यों के विधानसभा चुनाव में यह सुविधा उपलब्ध की गई थी ।