Arunachal Pradesh Conversion : अरुणाचल प्रदेश में भारी मात्रा में हो रहा है आदिवासियों का धर्मांतरण !

धर्मांतरण के कारण आदिवासियों की पहचान संकट में !

इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) – अरुणाचल प्रदेश में आदिवासियों भारी मात्रा में धर्मांतरण हो रहा है । इससे शीघ्र ही राज्य के आदिवासियों की मूल पहचान नष्ट होकर वे ईसाई बनेंगे, ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है । राज्य में वर्ष २००१ में ईसाइयों की लोकसंख्या १८.७२ प्रतिशत थी । यह संख्या वर्ष २०११ में बढकर ३०.२६ प्रतिशत हुई । इनमें अधिकांश आदिवासी हैं । दूसरी ओर मुसलमानों की संख्या में भी कुछ मात्रा में वृद्धि हो रही है । वर्ष २००१ में यह १.८८ प्रतिशत थी, जो २०११ में १.९५ प्रतिशत हुई ।

१. ‘इंडिजिनस फेथ अँड कल्चरल सोसायटी ऑफ अरुणाचल प्रदेश’ के (आय.एफ्.सी.एस.ए.पी. के) अध्यक्ष कटुंग वाहगे ने कहा कि हमारे लोग हिन्दू और ईसाई हुए हैं । अब तो कुछ मुसलमान भी हुए हैं । धर्मांतरण रोकने और आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए आय.एफ्.सी.एस.ए.पी. की स्थापना हुई । हमारा संगठन २४ वर्षाें से स्थानीय संस्कृति बचाने का अभियान चला रहा है । इसके लिए प्रतिवर्ष १ दिसंबर को ‘आदिम आस्था दिन’ मनाया जाता है ।

२. राजीव गांधी विश्वविद्यालय के राज्यशास्त्र प्राध्यापक नाका हिना नबाम ने बताया कि आदिवासियों का धर्मांतरण चिंताजनक है । पहले हमारे लोगों का विश्वास था कि ईश्वर सर्वत्र है; परंतु एकेश्वरवाद का प्रचार करनेवालों का यहां के समाज पर बहुत प्रभाव पडा है । धर्मांतरण करनेवाले अब हमारी संस्कृति का द्वेष करते हैं । अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो दु:ख तथा बीमारियों से बचने के लिए धर्मांतरण कर रहे हैं ।

संपादकीय भूमिका 

उत्तर भारत में चर्च की संस्थाओं द्वारा आदिवासी हिन्दुओं के धर्मांतरण का कार्य बडी तेजी से हो रहा है । इसे रोकने के लिए ऐसी संस्थाओं को विदेशों से मिलनेवाले धनदान की अनुज्ञप्ति निरस्त करने के साथ सरकार उन्हें विसर्जित कर धर्मांतरण करनेवालों को कारागृह में डालें !