कर्नाटक कांग्रेस के मंत्री प्रियांक खरगे का स्वतंत्रतावीर सावरकर के प्रति द्वेषयुक्त वक्तव्य !
बंगलुरु (कर्नाटक) – मेरे अधिकार में होता, तो मैं विधानसभा से सावरकर का छायाचित्र हटा देता । सावरकर कभी वीर नहीं थे । इसके लिए मैं चुनौति देने के लिए भी तैयार हूं, ऐसा वक्तव्य कर्नाटक कांग्रेस के नेता एवं मंत्री प्रियांक खरगे ने कांग्रेस के कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में दिया ।
खरगे ने आगे कहा कि सावरकर को ‘वीर’ उपाधी कैसे मिली ?, यह भाजपा को बताना चाहिए । ‘वीर’ उपाधी सावरकर को किसने दी ? ‘सावरकर अंग्रेजों से निवृत्तिवेतन (पेन्शन) नहीं लेते थे’, क्या यह भाजपा बताएगी ? (मोहनदास करमचंद गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधी किसने दी ?, यह कांग्रेस को बताना चाहिए ! – संपादक)
प्रियांक खरगे के वक्तव्य पर कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद ने कहा कि सावरकर का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान शून्य है । भाजपा की सत्ता आने से कर्नाटक विधानसभा में सावरकर का छायाचित्र लगाया गया । भाजपा इतिहास में परिवर्तन लाना चाहती है । (भाजपा को नहीं, किंतु कांग्रेस ही इतिहास में परिवर्तन लाना चाहती है तथा उसके सत्ताकाल में उसने परिवर्तन लाया भी है । अब उसे सुधारने का प्रयत्न करना है ! – संपादक)
#WATCH कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, “मेरा दृढ़ मत है कि सावरकर की तस्वीर विधानसभा में नहीं होनी चाहिए। अगर भाजपा को इससे दिक्कत है तो ये उनकी परेशानी है। मेरी राय है कि जिसकी भी विचारधारा नफरत भड़काती हो, बंटवारा करती हो उसे वहां नहीं होना चाहिए, सावरकर का चित्र वहां… pic.twitter.com/Y9gFvge62t
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 7, 2023
सावरकर का छायाचित्र हटाने का हम तीव्र विरोध करेंगे ! – भाजपा
प्रियांक खरगे के पास असत्य जानकारी है; परंतु उन्हें लगता है कि वे सुशिक्षित लोगों में से हैं । कर्नाटक विधानसभा से सावरकर का छायाचित्र हटाने का हम तीव्र विरोध करेंगे, ऐसी चेतावनी भाजपा के विधायक भरत शेट्टी ने दी है ।
हमारे पास छायाचित्र हटाने का प्रस्ताव नहीं आया है ! – विधानसभा अध्यक्ष
कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष यू.टी. खादर ने बताया कि विधानसभा के सभागृह से हिन्दुत्व के विचारक विनायक सावरकर का छायाचित्र हटाने के संबंध में मैं कुछ नहीं जानता । हमारे पास ऐसा कोई प्रस्ताव अभी तक नहीं आया है ।
संपादकीय भूमिकाकांग्रेस स्वतंत्रतावीर सावरकर का कितना भी द्वेष करें, उनका महत्त्व थोडा भी अल्प नहीं होगा; किंतु सत्य तो यह है कि पीछले ७५ वर्षाें में कांग्रेस राजनीतिक दृष्टि से समाप्त होने की दिशा में गति से अग्रसर हो रही है ! |