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नई देहली – देश के ४ राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को २ राज्यों राजस्थान एवं छत्तीसगढ में पराजय मिली तथा उसे सत्ता से हटना पडा, जहां भाजपा ने विजय प्राप्त की है । वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस की विजय हुई है तथा सत्तारूढ भारत राष्ट्र समिति की पराजय ! मध्य प्रदेश में सत्तारूढ भाजपा सत्ता बनाए रखने में सफल रही है । मिजोरम में मतों की गिनती ४ दिसंबर को होगी ।
राजस्थान में राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस का ‘सर तन से जुदा’!
(‘सर तन से जुदा’ का अर्थ है सिर को शरीर से अलग करना)
चुनाव उपरांत के परीक्षणों में (‘एग्जिट पोल’ में) कहा गया कि ‘राजस्थान में कांग्रेस पुन: सत्ता में आएगी’; किंतु वास्तव में मतों की गिनती के उपरांत देखने को मिला कि राजस्थान में कांग्रेस की पराजय हुई है तथा भाजपा सत्ता में आ रही है । देखा गया है कि राजस्थान में प्रत्येक ५ वर्ष के उपरांत सत्ता परिवर्तित होने की परंपरा इस बार भी जारी रही है । इससे पता चलता है कि कोई भी दल जनता की इच्छा एवं अपेक्षाओं के अनुरूप शासन नहीं कर रहा है । कहा जा रहा है कि यदि राज्य में भाजपा तथा कांग्रेस का कोई तीसरा विकल्प होता, तो बहुधा वहां की जनता उसे भी अवसर देती । दूसरी ओर, कांग्रेस में चर्चा है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट के मध्य चल रही लडाई एवं जिहादियों द्वारा कन्हैया लाल की हत्या के कारण भी कांग्रेस को चुनाव में पराजय का सामना करना पडा है । राजस्थान में मुख्यमंत्री के तौर पर वसुंधरा राजे एवं दीया कुमारी के नाम पर चर्चा हो चुकी है ।
भाजपा का दावा, मध्य प्रदेश में ‘लाडली बहना’ योजना से मिला लाभ !
मध्य प्रदेश में पिछली विधानसभा में सत्तारूढ भाजपा की पराजय के उपरांत कांग्रेस की सरकार बनी थी; किंतु डेढ वर्ष उपरांत विधायकों ने बगावत कर भाजपा का समर्थन किया, जिससे यहां पुन: भाजपा की सरकार बन गई । जब कहा जा रहा था कि भाजपा यहां पुन: सरकार नहीं बना सकती तो भाजपा ने यहां प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लडा । प्रधानमंत्री मोदी ने यहां अपने नाम पर वोट भी मांगा । भाजपा ने इस बार शिवराज सिंह चौहान को पुन: मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया । कहा जा रहा है कि यही कारण है कि भाजपा पुन: सत्ता बनाए रखने में सफल रही । इसके अतिरिक्त कहा जा रहा है कि लोगों ने भाजपा सरकार की ‘लाडली बहना’ योजना के कारण भी भाजपा को मत दिया है । इस योजना के अनुसार, राज्य की २१ वर्ष से कम आयु की प्रत्येक लडकी को सरकार द्वारा प्रति माह १ सहस्र रुपए दिए जाते हैं । ऐसी संभावना जताई जा रही है कि शिवराज सिंह चौहान की जगह मुख्यमंत्री पद पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को आरूढ किया जाएगा ।
छत्तीसगढ में भाजपा की अप्रत्याशित जीत !
छत्तीसगढ में पिछले चुनाव में सत्तारूढ भाजपा की पराजय हुई थी तथा कांग्रेस सत्ता में आई थी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिछले ५ वर्ष के काम की प्रशंसा करते-करते आश्चर्य इस बात का हो रहा है कि कांग्रेस की सरकार चली गई । मतदान के उपरांत हुए निरीक्षण में भी कांग्रेस को सबसे अधिक स्थान मिलते दिख रहे थे, जबकि भाजपा ने सत्ता प्राप्त कर ली है । इसके पीछे के वास्तविक कारण की अब जांच की जा रही है ।
तेलंगाना में कांग्रेस की आश्चर्यजनक जीत !
तेलंगाना राष्ट्र समिति, जो अब भारत राष्ट्र समिति (‘बी.आर.एस.’ ) है २०१४ में तेलंगाना राज्य के निर्माण के उपरांत पिछले १० वर्षों से तेलंगाना में सत्ता में है । चुनाव उपरांत हुए परीक्षण से पता चला कि इस बार उनकी सत्ता चली जाएगी तथा कांग्रेस सत्ता में आएगी । वास्तव मतों की गिनती के उपरांत यह स्पष्ट हो गया है । मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव को अतिविश्वास था कि वह सत्ता में लौटेंगे, इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने के लिए विपक्षी दलों के साथ बातचीत आरंभ कर दी थी । उन्होंने अपनी पार्टी के नाम से ‘तेलंगाना’ हटा दिया तथा उसके स्थान पर ‘भारत’ लिख दिया; किंतु चूंकि राज्य की जनता परिवर्तन चाहती है, इसलिए ऐसा लगता है कि उन्होंने कांग्रेस को चुना । चूंकि राज्य में भाजपा का अस्तित्व अधिक नहीं था, इसलिए वह कोई विकल्प नहीं हो सकी; किंतु इसे भी बडी बात कहा जा रहा है क्योंकि भाजपा ने १ सीट से ८ विधानसभा क्षेत्रों पर बढत बना ली है ।
टी. राजा सिंह की विजय
एक प्रखर हिन्दुत्ववादी टी. राजा सिंह तीसरी बार विधायक के चुनाव में विजयी हुए हैं । उन्होंने भाग्यनगर में अपने गोशामहल निर्वाचन क्षेत्र से पुन: विजय प्राप्त की है । पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने के आरोप में भाजपा ने उन्हें ६ वर्ष के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था; किंतु विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पूर्व टी.राजा सिंह को पुनः भाजपा में ले लिया गया ।
‘इंडी अघाडी’ की पराजय
पिछले कुछ माह से भाजपा विरोधी पार्टियां भाजपा को पराजित करने के लिए संगठित हो रही हैं । उन्होंने इसके लिए ‘इंडी अघाडी’ का गठन किया है; यद्यपि इस विधानसभा चुनाव में इस भारतीय गठबंधन का कहीं कोई प्रभाव अथवा संगठन देखने को नहीं मिला ! यह गठबंधन लोकसभा के लिए बना है । इसलिए ये भी कहा जा रहा है कि इसका प्रभाव राज्य में देखने को नहीं मिलेगा । यद्यपि इस गठबंधन में कांग्रेस मुख्य दल है, किंतु यह भी कहा जा रहा है कि उसने इस चुनाव में अपने गठबंधन के अन्य दलों को महत्त्व नहीं दिया है । उन्होंने सार्वजनिक स्तर पर बोलकर भी यह दिखाया है ।
राजस्थान (कुल स्थान २००)
दल | गठबंधन |
भाजपा | ११७ |
कांग्रेस | ६७ |
मध्य प्रदेश (कुल स्थान २३० )
दल | गठबंधन |
भाजपा | १६७ |
कांग्रेस | ६१ |
छत्तीसगढ (कुल स्थान ९०)
दल | गठबंधन |
भाजपा | ५३ |
कांग्रेस | ३५ |
तेलंगाना (कुल स्थान ११९)
दल | गठबंधन |
कांग्रेस | ६४ |
बी.आर.एस. | ३९ |
भाजपा | ८ |