चोरी, डकैती, बलात्कार आदि अपराधों में मुसलमान प्रथम स्थान पर हैं ! – सांसद बदरुद्दीन अजमल

  • असम में ‘ए.आई.यू.डी.एफ.ए.’ पक्ष के अध्यक्ष एवं सांसद बदरुद्दीन अजमल का स्पष्ट कथन !

  • यह वक्तव्य भी दिया कि कारागृह में भी मुसलमान ही बहुसंख्यक हैं !

(‘ए.आई.यू.डी.एफ.ए.’ का अर्थ है  ‘ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ असम’ है)

सांसद बदरुद्दीन अजमल

गौहाटी (असम) – हम (मुसलमान) चोरी, डकैती, बलात्कार आदि अपराधों में पहले स्थान पर हैं। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ असम के प्रमुख और असम के सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि हम कारागृह में  प्रथम क्रमांक पर हैं। वह २० अक्टूबर को असम के गोलपाडा में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस वक्तव्य के फलस्वरूप आलोचना होने के उपरांत भी वे इस पर अडिग हैं । तदोपरांत उन्होंने एक समाचार वाहिनी से कहा, ”मैंने कुछ भी त्रुटिपूर्ण नहीं कहा है।”

सांसद अजमल ने आगे कहा कि,

१. मुसलमान बच्चों के पास लोगों को धोखा देने का समय है !

हमारे (मुसलमानों) बच्चों के लिए विद्यालय जाने के लिए समय नहीं है; किन्तु जुआ खेलने और लोगों से धोखा धडी करने के लिए बहुत समय है। इन सब आपराधिक गतिविधियों में कौन सम्मिलित है?, मुसलमान सम्मिलित हैं। ये दु:खद तथ्य है। (एक मुसलमान सांसद जो मान्य करते हैं,   धर्मनिरपेक्षता वादियों ने आज तक  इस संबंध में क्यों नहीं सोचा? – संपादक)

२. कारागार में मुसलमान बहुसंख्यक !

लोग चांद और सूरज पर जा रहे हैं और हम (मुसलमान) कारागृह में पी.एच.डी. कर रहे हैं। किसी भी थाने में चले जाइये, आप देखेंगे कि पूर्ण बहुमत में कौन है? अब्दुर रहमान, अब्दुर रहीम, अब्दुर मजीद, बदरुद्दीन, सिराजुद्दीन, फखरुद्दीन। क्या यह दुख:द नहीं है?

आलोचना के उपरांत अजमल का प्रत्युत्तर !

१. विश्व भर के मुसलमानों में शिक्षा का अभाव  !

मैंने विश्व भर के मुसलमान समुदायों में शिक्षा की न्यूनता देखी है। मैंने प्रायः कहा है कि हमारे (मुसलमान ) बच्चे पढ़ते नहीं हैं, उच्च शिक्षा नहीं लेते हैं, मैट्रिक तक भी नहीं पहुंच पाते । युवाओं को शिक्षा का महत्व बताने के लिए मैंने कहा था कि मुसलमान अपराध में प्रथम क्रमांक पर हैं।

२. मुसलमानों में से डॉक्टर या इंजीनियर निर्माण नहीं होते !

मुस्लिम समाज के विकास न हो पाने का मुख्य कारण, उनमें शिक्षा का नितांत अभाव है। हम शिक्षा के लिए सरकार को दोषी मानते हैं; किन्तु यदि सरकार हमसे डॉक्टर या इंजीनियर मांगती है तो हम उन्हें उपलब्ध नहीं करा सकते। (अजमल को इस तथ्य पर भी बात करनी चाहिए कि उच्च शिक्षा प्राप्त मुसलमानों के अपराध करने और जिहादी आतंकवादी बनने के अनगिनत उदाहरण हैं ! अजमल को प्रामाणिकता के साथ इस तथ्य पर विचार करने का साहस करना चाहिए और विश्व को बताना चाहिए कि मुसलमानों में आपराधिक प्रवृत्ति क्यों विकसित होती है! – संपादक) साक्षरता की दर में वृद्धि होनी चाहिए । इसके लिए हमें अपने युवाओं को पढाई के लिए प्रोत्साहित करना होगा। शिक्षा का अभाव ही सभी बुराइयों की जड है। (इसके लिए सबसे पहले मदरसों को बंद कर देना चाहिए ! क्या अजमल  ऐसा करने का साहस दिखाएंगे  ? – संपादक)

३. मुसलमानों को परस्त्री की ओर देखते समय माता-बहनों का विचार करना चाहिए !

उन (मुसलमान) लडकों को,  जो महिलाओं को देखकर उत्तेजित हो जाते हैं, मैं सूचित करना चाहता हूं कि इस्लाम में व्यवहार करने की एक योग्य पद्धति है। जब हम बाजार या किसी सार्वजनिक स्थान पर हों और वहां किसी महिला को देखें तो हमें अपनी दृष्टि दूसरी ओर कर लेनी चाहिए। बच्चों को ध्यान में रखना चाहिए कि उनके घर में भी महिलाएं हैं। यदि वे अपनी मां-बहनों के संबंध में सोचेंगे तो उनके मन में कभी भी घृणित विचार नहीं आएंगे।

संपादकीय भूमिका 

  • अजमल को कहना चाहिए कि मुसलमान न केवल अपराधों में, बल्कि जिहादी आतंकवाद में भी विश्व में प्रथम क्रमांक पर हैं !
  • सांसद अजमल ने वही बात स्वीकार कर ली है जो सनातन प्रभात गत २५ वर्षों से कहता आ रहा है कि ‘ जनसंख्या में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं किन्तु अपराध में बहुसंख्यक हैं।’ क्या भारत के पाखंडी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल और संगठन इस संबंध में मुंह खोलेंगे ?