दोषी नेताओं को चुनाव लडने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए !

न्यायमित्र विजय हंसरिया की सर्वोच्च न्यायालय में सिफारिश

विजय हंसरिया

नई देहली – दोषी नेताओं को चुनाव में खडे रहने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किए न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) विजय हंसरिया ने उनका १९ वां ब्योरा सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया । इस ब्योरे में उन्होंने ऐसी सिफारिश भी की है कि ‘दोषी नेताओं को चुनाव में खडे रहने पर ६ वर्ष के प्रतिबंध के स्थान पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए ।’ हंसारिया ने अपने ब्योरे में कहा है, ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, २००३’ एवं ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, २०१३’ कानून के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर संबंधित नेता को केवल ६ वर्ष की कालावधि के लिए अपात्र ठहराया जाता है । यह शिक्षा अधिकाधिक है । इसमें परिवर्तन कर यह अपात्रता आजीवन की जाए । इस प्रकरण में १५ सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी । विजय हंसरिया की सिफारिश पर सर्वोच्च न्यायालय निर्णय लेगा ।

पूरे देश के विधायक एवं सांसदों पर अभियोगों की संख्या में वृद्धि !

पूरे देश के विधायक एवं सांसदों पर प्रलंबित अभियोगों (मुकद्दमों) की संख्या में वृद्धि हुई है । नवंबर २०२२ तक पूरे देश के विधायक एवं सांसदों के विरुद्ध प्रलंबित अभियोगों की संख्या ५ सहस्र १७५ है । वर्ष २०१८ में यह संख्या ४ सहस्र १२२ थी ।

संपादकीय भूमिका 

  • ऐसी सिफारिश क्यों करनी पडती है ? वास्तव में सरकार को स्वयं ही ऐसा प्रतिबंध लगाना चाहिए !
  • गुनहगार जनप्रतिनिधि जनता को क्या कभी कानून का शासन दे पाएंगे ? ऐसे लोगों को चुनाव में खडे रहने का अवसर देना, अर्थात समाज में अराजक फैलाने की अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) देने समान है ! यह लोकतंत्र का पराभव है !