लोग मांसाहार करते हैं, इसलिए हिमाचल प्रदेश में हो रहे हैं बादलों का फटना एवं भूस्खलन !

मंडी (हिमाचल प्रदेश) के आइआइटी के संचालक लक्ष्मीधर बेहरा का दावा !

(बादलों का फटना अर्थात बादल, जो अधिक भार लेकर चलते हैं । उनके मार्ग में यदि कोई पर्वत आ जाए, तो उनसे टकराकर वे टूट जाते हैं । इस कारण बडी मात्रा में वर्षा होती है ।)

आइआइटी के संचालक लक्ष्मीधर बेहरा

सिमला (हिमाचल प्रदेश) – हिमाचल प्रदेश में निरंतर होनेवाले बादलों का फटना एवं भूस्खलन का कारण बताते हुए मंडी के ‘इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी’ के संचालक लक्ष्मीधर बेहरा ने दावा किया है कि लोगों के मांसाहार करने से ऐसा हो रहा है । एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे । वर्तमान में वर्षाऋतु में हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन एवं बाड की स्थिति के कारण २३८ से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है ।

लक्ष्मीधर बेहरा ने आगे कहा कि यदि हम पशुओं की हत्या नहीं रोकते, तो हिमाचल प्रदेश का पतन हो जाएगा । आप पशुओं को काट डालते हैं, इसका संबंध पर्यावरण से है, वह आपको दिखाई नहीं देता । बारंबार भूस्खलन, बादलों का फटना एवं अन्य अनेक घटनाएं हो रही हैं । ये सभी पशुओं पर की जा रही अमानुषिकता के परिणाम हैं । लोग मांस खा रहे हैं । यदि पूछ रहे हो, ‘अच्छा इंसान बनने के लिए क्या करना चाहिए ?’, तो मांस खाना छोड दें । उन्होंने आवाहन किया है कि छात्रों को मांसाहार न करने की शपथ लेनी चाहिए ।

संपादकीय भूमिका 

आइआइटी शिक्षा संस्था पूरे विश्व में सम्मानित है । ऐसी संस्था के संचालक जब इस प्रकार का दावा करते हैं, तब उनकी आलोचना करने की अपेक्षा उस पर गंभीरता से विचार कर अध्ययन करना आवश्यक है !