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फोंडा (गोवा) – वर्ष २००४ में मैं फ्रांस में रहता था । तब एक छोटीसी घटना पर उत्तर अफ्रीकी मुसलमान एवं अरब लोगाें ने लगभग १० सहस्र गाडियां जलाईं थीं । यूरोपीय मुसलमानों में अपराधी प्रवृत्ति उनकी लोकसंख्या की तुलना में १० गुना अधिक है । वहां अमली पदार्थों का दलाल एक तो अरब है अथवा पाकिस्तानी ! यूरोप में छुटपुट चोरियां करने से लेकर बडी डकैतियां डालनेवाले अधिकांश धर्मांध मुसलमान हैं, ऐसे वक्तव्य लंडन के प्रसिद्ध इस्लामी अभ्यासक आरिफ अजाकिया ने किया । फ्रांस में फ्रेंच पुलिस द्वारा अरब वंश के एक युवक की हत्या होने पर वहां देशव्यापी हिंसाचार हुआ । वहां के सहस्रों धर्मांध मुसलमान हिंसाचार कर रहे हैं । इसकारण ‘सनातन प्रभात’के प्रतिनिधि ने अजाकिया को इस विषय पर संपर्क साधा तब उन्होंने ऐसा कहा ।
अजाकिया आगे बोले,
१. यूरोप में रहनेवाले मुसलमानों में से अनेक जन उत्तर आफ्रिका के ट्युनिशिया, लीबिया, अल्जेरिया, इजिप्त एवं मोरोक्को देशों के हैं । ये सभी देश एक तो एकाधिकारशाही के आधार पर चलते हैं अथवा कट्टर इस्लामी देश हैं ।
२. अन्य देशों की तुलना में यूरोपीय पुलिस भी उतनी कठोर नहीं है । इसलिए फ्रांस में जो हिंसाचार हो रहा है, वह निषेधार्ह ही है । यहां के मुसलमान ध्यान में रखें कि ‘फ्रांस ने तुम्हें बहुत कुछ दिया है । तुम्हारे देश में तुम्हें जो स्वतंत्रता नहीं थी, वह फ्रांस ने तुम्हें दी है !’
३. यूरोप में शीघ्र ही गृहयुद्ध होगा । फ्रांस ने इसे टालने के लिए कुछ अच्छे कदम उठाए हैं । अक्टूबर २०२० में पैरिस के शिक्षक साम्युएल पैटी के शिरच्छेद के उपरांत राष्ट्रपति इमेन्युल मैक्रॉन ने कुछ कठोर कानून बनाए ।
४. जगभर के मदरसे ही सब रक्तपात के पीछे का मूल कारण है । मदरसे में प्रवेश लेने पर बच्चों को आरंभ में ही सिखाया जाता है कि नसीब से तुम मुसलमान हो ! इसलिए तुम्हें जन्नत (स्वर्ग) मिलेगी । गैरमुसलमानों को जहन्नुम (नरक) मिलेगा !’ यहीं से मुसलमान बच्चों में श्रेष्ठत्व की अथवा अन्यों को न्यून लेखने की भावना निर्माण की जाती है । धर्म को घर में रखना चाहिए । केवल भारत अथवा यूरोप ही नहीं, अपितु संपूर्ण जग में मदरसों से दी जानेवाली शिक्षा पर बंदी लगानी चाहिए । सभी मदरसों में ताले लगाने चाहिए । मुसलमानों को मुख्य प्रवाह की आधुनिक शिक्षा देने की आवश्यकता है । जिन्हें मौलवी (इस्लामी अभ्यासक) बनना है, उन्हीं को मदरसों में भेजना चाहिए । सभी मुसलमानों को भेजने की क्या आवश्यकता है ?
५. वर्ष २००४ में फ्रांस में एक नियम बनाया गया था । उसके अंतर्गत किसी को भी धार्मिक चिन्ह प्रदर्शित कर विद्यालय में नहीं जा सकते । मैंने एक फ्रेंच सांसद से इसका कारण पूछा तो वे बोले, ‘‘हमें फ्रेंच देश बनाना है । समान शैक्षणिक व्यवस्था से ही इसकी निर्मिति होगी । हमें देश का विभाजन नहीं करना है ।
यूरोप एवं अमेरिका की अभिव्यक्ति स्वतंत्रता विवादास्पद !स्वीडन में कुरान जलाने की घटना पर अजाकिया बोले, ‘‘ऐसा करना अयोग्य है । कुरान जलाकर कोई भी लाभ नहीं होगा । जगभर के डेढ अब्ज मुसलमानों को अनावश्यक चेेतावनी अथवा आहत करने का यह प्रयत्न है । स्वीडन में एक इरानी शरणार्थी ने यह किया है । यूरोप में ज्यू का ‘होलोकास्ट’ (नरसंहार) अथवा यूनायटेड किंगडम की राजशाही के विरोध में कोई भी बोल नहीं सकता । हाल ही में हुए अमेरिकी दौरे पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’के मुसलमान पत्रकार ने भारत के मुसलमानों ने कथित अन्याय पर प्रश्न किया । वास्तव में यह नियतकालिक आर्थिक क्षेत से संबंधित होने से उसे मोदी से उस क्षेत्र से संबंधित प्रश्न पूछना आवश्यक था । अमेरिका अभिव्यक्ति स्वतंत्रता की बातें करता है; परंतु अनेक सरकारों का भांडाफोड करनेवाले ‘विकीलीक्स’के प्रमुख जूलियन असांजे को कारागृह में डालता है । इसलिए अमेरिका हो अथवा यूरोप, इनकी अभिव्यक्ति स्वतंत्रता विवादास्पद ही है !’’ |