रामनाथी, २२ जून (संवाददाता) – धर्मांतरितों का शुद्धिकरण प्रक्रिया (घरवापसी) आदि सभी बातें कानून के अंतर्गत आनेवाले कार्य हैं । भारतीय आपराधिक संहिता के अनुच्छेद २५ के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने से किसी भी व्यक्ति को कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता है, साथ ही उसका प्रचार-प्रसार करने की भी स्वतंत्रता है । यह अनुच्छेद ईसाई एवं मुसलमानों के साथ हिन्दुओं पर भी लागू है ।
धर्मांतरितों का शुद्धिकरण करने के लिए धार्मिक अनुष्ठानों के साथ कुछ नियम बनाने जाने चाहिएं । जिसकी शुद्धिकरण प्रक्रिया करनी है, उसका परिचयपत्र, मतदातापत्र, नागरिकता का प्रमाण ऐसे कागदपत्र लें । उसके उपरांत ‘मुझे सनातन हिन्दू धर्म के प्रति आकर्षण होने से मैं इस धर्म का स्वीकार कर रहा हूं’, इस पद्धति से शपथपत्र लिख लें । उसके उपरांत शुद्धिकरण का अनुष्ठान करें । उसके पश्चात ‘एफिडेविट’ (शपथपत्र) बनाएं । ऐसा व्यक्ति जब नया नाम धारण करता है, उसके उपरांत उसे ‘गैजेट पब्लिकेशन’ (हिन्दू धर्म का स्वीकार करने के संदर्भ में समाचारपत्र में ज्ञापन देना) करने के लिए कहें । इस संपूर्ण प्रक्रिया के कारण कागदपत्रों से संबंधित जानकारी एकत्रित होती है । अभीतक ऐसा ध्यान में आया है कि हिन्दुओं के अन्य पंथ में धर्मांतरण होने के कागदपत्र मिलते हैं; परंतु हिन्दू धर्म में ‘घरवापसी’ करने के कागदपत्र अधिकतर नहीं मिलते; इसलिए कागदपत्रीय जानकारी इकट्ठा करने का महत्त्व होता है । कालांतर से इस संदर्भ में कानून बनाने के लिए यह जानकारी सरकार को दी जा सकती है । किसी सरकार ने घरवापसी बंदी का कानून बनाया, तो वह कानून रद्द न हो; इसके लिए इस जानकारी का उपयोग हो सकेगा । इसलिए शुद्धिकरण प्रक्रिया का कागदपत्रीकरण होना आवश्यक है, ऐसी जानकारी हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सचिव अधिवक्ता नागेश जोशी ने दी । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन (२२.६.२०२३ दिन) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।
अधिवक्ता नागेश जोशी ने आगे कहा,
१. शुद्धिकरण होने पर उस व्यक्ति को हम अपने न्यास का अथवा संगठन का एक प्रमाणपत्र दे सकते हैं ।
२. हिन्दू धर्म के अनुसार शुद्धिकरण के सभी अनुष्ठान संपन्न कराने से उस अनुष्ठान का उस पर धार्मिक संस्कार हो जाता है, उससे वह हम से जुडा रहता है ।
३. जिसकी शुद्धिकरण किया गया है, उसकी जन्मकुंडली, गोत्र, नाम आदि बातें बना लेनी चाहिएं ।
४. नए सिरे से उसका आधार कार्ड, नागरिकता का प्रमाण एवं मतदाता परिचयपत्र बनाएं । यह ‘गैजेट’ उसके तथा अपने पास रखें ।
५. उसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में बुलाना चाहिए । उससे थोडा शुल्क लेकर रसीद दें । उसका रेकॉर्ड बनता है ।
हमने अपनी परंपराओं की सीमाओं में रहकर काम किया, तो हमें कोई नहीं रोक सकता ।