रामनाथी, २२ जून – ‘जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्ते भारतवर्षे, एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की…’ यह गीत सुनने के उपरांत भी हम केवल अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यानमार, भूटान, नेपाल इतनी ही मांग क्यों करते हैं ? यदि जम्बूदीप की संरचना इतनी बडी है, जिसमें आज का चीन, रूस एवं मध्यपूर्व के सर्व देश सम्मिलित हैं, तो हमें कुछ बडी मांग करनी चाहिए, ऐसा मत जयपुर, राजस्थान के ‘जम्बू टॉक्स’ नामक ‘यू-ट्यूब वाहिनी’ के संचालक श्री. निधीश गोयल ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में २२.६.२०२३ को व्यक्त किया ।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘वर्तमान चीन में मेरु(सुमेरु) पर्वत है एवं वह इस विश्व का मध्य है, ऐसा कहा जाता है । यह बात हिन्दुओं को कितनी बार बताई गई ? हमारी वाहिनी ने ‘क्यों छिपाया जम्बूद्वीप ?’ ऐसा कार्यक्रम किया । हम अखंड भारत की बात क्यों करते हैं ? जम्बू द्वीप के संबंध में क्यों नहीं बोलते ? हम कश्मीर को महर्षि कश्यप की भूमि कहते हैं, तो ‘केस्पियन’ समुद्र को कश्यप सागर क्यों नहीं कहते ? यह वही कश्यप समुद्र है, जहां से मध्य पूर्व एवं अन्य देश है । जम्बूद्वीप से संबंधित हमारा कार्यक्रम २ लाख लोगों ने देखा । इससे ध्यान में आया कि, भारत के युवकों को हमारे इतिहास के प्रति जिज्ञासा है । युवकों से उनकी भाषा में संवाद करना चाहिए । आदि शंकराचार्यजी ने कहा था, मैं शंख बजाऊंगा और यह शंखध्वनि जहां जहां तक पहुंचेगी, वह प्रदेश सनातन रहेगा । भारत कभी गुलाम नहीं रहा है, इसके विपरीत हमारा समाज संघर्षशील रहा है । ऐसा होते हुए भी हमें भारत गुलाम देश था, ऐसा पढाया गया और हमने वह मान्य किया । अर्जुन दिग्विजयी मुहीम पर निकला था । वह आज के सायबेरिया तक पहुंचा था । तब हमें हिन्दू संस्कृति के दृष्टिकोण से भौगोलिक इतिहास पढाने हेतु किसने रोका है ? हमने जबसे ‘जम्बू टॉक्स’ वाहिनी प्रारंभ की है, तब से हमने केवल ऐसे विषयों पर २०० कार्यक्रम किए । इसके साथ अन्य विषय मिलाकर अभी तक ७०० भाग किए हैं । हमारी यह यात्रा नहीं रुकेगी, अपितु निरंतर चलती रहेगी । कोई भी कार्यक्रम सात्त्विक भाव से करने पर हमारे भीतर एवं चराचर में विद्यमान भगवान श्रीकृष्ण सहायता करते हैं । ईश्वर की सहायता मिलने पर हमें कोई नहीं रोक सकता ।’’