रामनाथ देवस्थान – २५ एवं २६ दिसंबर २०२१ को रायपुर में धर्मसंसद का आयोजन किया गया था । उस धर्मसंसद में गांधीजी के विषय में कथिरूप से विवादित वक्तव्य देने के प्रकरण में छत्तीसगढ पुलिस ने कालीचरण महाराज को बंदी बनाकर उनके विरुद्ध राष्ट्रद्रोह का अपराध पंजीकृत किया । इसके विरोध में साधु-संतों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों ने सरकार के विरुद्ध तीव्र आंदोलन चलाया । प्रभु श्रीराम के विषय में विवादित वक्तव्य देनेवाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल पर कोई कार्यवाही नहीं की गई थी; परंतु कथितरूप से गांधीजी की आलोचना करने के प्रकरण में कालीचरण महाराज पर कार्यवाही की गई । इससे छत्तीसगढ सरकार को प्रभु श्रीराम की अपेक्षा गांधी अधिक महत्त्वपूर्ण लगते हैं । राज्य में हिन्दू देवताओं का अनादर होने पर उसके लिए दोषियों पर कार्यवाही न कर प्रशासन की ओर से सर्वप्रथम उसके प्रति क्षोभ व्यक्त करनेवाले धार्मिक संतों तथा हिन्दुत्वनिष्ठ नेताओं पर कार्यवाही की जाती है । नंदकुमार बघेल ने ब्राह्मणों के विरोध में विवादित वक्तव्य दिया था, उस समय हिन्दुत्वनिष्ठों ने राज्यस्तरीय तीव्र आंदोलन चलाया था । उस समय दबाव के कारकण नंदकुमार बघेल को ३ दिन के लिए बंदी बनाया गया था, इन शब्दों में रायपुर (छत्तीसगढ) के ‘श्री नीलकंठ सेवा संस्थान’ के संस्थापक पं. नीलकंठ त्रिपाठी महाराज ने क्षोभ व्यक्त किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के चौथे दिन (१९.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।