देहली विश्‍वविद्यालय के पाठ्यक्रम में ‘सावरकरजी का योगदान एवं दर्शन’ विषय सम्मिलित 

नई देहली – देहली विश्‍वविद्यालय के बी.ए. (राज्यशास्त्र) के पाठ्यक्रम में ‘सावरकरजी का योगदान एवं दर्शन’ विषय समाहित किया गया है । देहली विश्‍वविद्यालय के राज्यशास्त्र विभाग ने दिए प्रस्ताव के उपरांत यह निर्णय लिया गया है । विश्‍वविद्यालय के कार्यकारी परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया । इसी के साथ कवि मुहम्मद इक्‌बाल की कविता भी शामिल न करने का निर्णय लिया गया है । पाठ्यक्रम में सावरकरजी का समावेश करने के लिए भलेही विरोध न हो, फिर भी म. गांधी से पहले सावरकरजी के विचार सिखाए न जाएं, ऐसी भूमिका शैक्षिक परिषद के कुछ सदस्यों द्वारा ली गई थी ।

कुलपति योगेश सिंह ने कहा ‘कवि इक्‌बाल ने ‘सारे जहां से अच्छा’ गीत लिखा; परंतु उन्होंने उसे कभी भी स्वीकार नहीं किया । पाठ्यक्रम में परिवर्तित किए गए विषय ऐच्छिक हैं, यह भी उन्होंने स्पष्ट किया है ।

संपादकीय भूमिका

देश के लिए सर्वस्व त्याग करनेवाले स्वतंत्रतावीर सावरकरजी के विचार एक विश्‍वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्वतंत्रता के ७५ वर्षों के उपरांत समाहित होना, यह सर्वदलीय राजनीतिज्ञों के लिए लज्जाजनक ! स्वतंत्रतावीर सावरकरजी का योगदान छुपाने का चाहे कितना भी प्रयास कर लो, तब भी उनके राष्ट्रवादी विचारों की ही जीत होगी, यही बात इससे ध्यान में आती है !