बंगाल में पुलिस, बलात्कार पीडिता लडकी के शव को सडक पर घसीटते हुए ले गई  !

  • भाजपा का आरोप है कि पुलिस अपराध के साक्ष्य नष्ट कर रही है !

  • भाजपा ने केंद्रीय अन्वेषण ब्युरो (सी.बी.आई.) द्वारा जांच की मांग की !

  • पुलिस का शवविच्छेदन के आधार पर दावा, कि पीडिता के साथ बलात्कार नहीं हुआ !

मृतक पीडिता के शव को घसीटते हुएं ले जा रही पुलिस

उत्तर दिनाजपुर (बंगाल) – यहां एक नाबालिग हिन्दू लडकी के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या किए जाने के उपरांत  हिंसा भडक उठी । मृतक पीडिता के शव को ले जा रही पुलिस पर ग्रामीणों ने पथराव कर किया । उस समय पुलिस को लाठीचार्ज और अश्रु वायु के गोले दागने पडे । मृत पीडिता के शरीर को पुलिस द्वारा निर्दयता से घसीटते हुए ले जाने का एक चलचित्र २२ अप्रैल को प्रसारित किया गया था । इस चलचित्र को भाजपा के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया था ।

पुलिस के अनुसार  बच्ची के शवविच्छेदन से विदित हुआ है, कि उसकी मृत्यु विषपान से हुई है। पुलिस ने इस प्रकरण में जावेद नाम के युवक को बंदी बनाया है। युवती और आरोपी एक दूसरे को जानते थे। स्थानीय भाजपा सांसद देबश्री चौधरी ने घटना की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सी.बी.आई.) से जांच की मांग की है। उधर राज्य महिला एवं बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री डॉ. शशि पांजा ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता, लोगों को भ्रमित कर भडका रहे हैं।

१. पुलिस का कहना है कि लडकी लापता थी, किन्तु  उसके परिवार ने इसकी शिकायत नहीं की। तदोपरांत नहर में बच्ची का शव मिला। पुलिस जब शव लेने गई तो लोगों ने उन पर पथराव कर दिया ।

२. बंगाल में भाजपा नेता एवं नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हमें पीडित परिवार से मिलने नहीं दिया गया। हमें थाने में ही बैठा कर रखा गया।

सरकार की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला ! – राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो

प्रियंक कानूनगो

इस संबंध में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर कहा कि बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म के उपरांत उसकी हत्या की गई है। पुलिस ने पीडिता के शव का अपमान किया है। इस संबंध में राज्य सरकार को अवगत कराने के उपरांत भी सरकार की ओर से कोई उत्तर नहीं दिया गया है।

संपादकीय भूमिका 

  • क्या ऐसी संवेदनहीन पुलिस जनता की सुरक्षा के योग्य है ?
  • बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के राज्य में कानून व्यवस्था के तीन तेरह बहुत पहले ही हो चुके हैं । वहां राष्ट्रपति शासन लगाना ही एक मात्र विकल्प है। अत: यह कहना त्रुटिपूर्ण नहीं होगा कि वहां के लोगों को ‘तृणमूल को चुनने’ का दंड ही मिल रहा  है !
  • एक महिला मुख्यमंत्री के राज्य में लडकियों और युवतियों का असुरक्षित रहना भीषण लज्जास्पद है !