पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन का प्रतिवेदन !
नई दिल्ली – पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा और भेदभाव इस सीमा तक बढ़ गया है कि लोग भयभीत रहते हैं, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने अपने प्रतिवेदन में यह जानकारी दी है। प्रतिवेदन का शीर्षक ‘विश्वास का उल्लंघन: धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता- २०२१ – २२’ (‘ए ब्रीच ऑफ फेथ: फ्रीडम ऑफ रिलिजन ऑर बिलीफ २०२१ – २२’) है । पाकिस्तान में २०२१ की तुलना में २०२२ में हिन्दू मंदिरों में तोड-फोड दोगुनी हो गई है।
१. प्रतिवेदन में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घटनाएं दिखाती हैं कि सरकार की धार्मिक स्वतंत्रता की बात खोखली है। सिंध में हिन्दू लड़कियों का लगातार धर्म परिवर्तन चिंताजनक है। सरकार अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों की अपवित्रता और तोड़फोड़ के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करती । वर्ष २०१४ में सर्वोच्च न्यायालय के ‘जिलानी निर्णय’ के अनुसार एक ‘स्वायत्त अल्पसंख्यक आयोग’ के गठन की आवश्यकता है। यह अनुशंसा की है कि बलपूर्वक धर्मांतरण को अपराध बनाने के लिए एक कानून बनाया जाए।
REPORT LAUNCH: HRCP's report 'A Breach of Faith: Freedom of Religion or Belief in 2021-22' observes with considerable alarm developments during 2021/22 that belie the state’s commitment to freedom of religion or belief. 1/3@EUPakistan https://t.co/Vpj4o5KxRw pic.twitter.com/aKgY61f0iS
— Human Rights Commission of Pakistan (@HRCP87) February 7, 2023
२. मानवाधिकार कार्यकर्ता फरजाना बारी ने कहा कि देश में धार्मिक भेदभाव वृहत परिमाण में व्याप्त है । विवाह, धार्मिक मान्यताओं समेत हर क्षेत्र में भेदभाव होता है । हिन्दू समाज की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान की मांग की जा रही है ।
३. हिन्दुओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले संगठन ‘पाकिस्तान दारार इत्तेहाद (पीडीआई)’ के अनुसार, सिंध प्रांत में लक्ष्यित हत्याएं, बलात्कार, हिन्दुओं की भूमि हडपना, सामूहिक धर्मांतरण, घरों और मंदिरों को जलाना, कब्रिस्तानों पर आक्रमण की घटनाएं खुले आम होती हैं । अभी-अभी डॉ. बीरबल गेनानी की हत्या कर दी गई ।
हिन्दुओं के विरुद्ध अपराध
प्रकार | वर्ष २०२२ | वर्ष २०२१ |
लक्ष्यित हत्या | २४ | १७ |
बलपूर्वक धर्मांतरण | ३४ | २८ |
हत्या | ३७ | २१ |
मंदिरों की तोड–फोड | ८९ | ३६ |
संपादकीय भूमिका
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