Jaishankar On Kashmir Issue : जब भारत कश्मीर सूत्र पर संयुक्त राष्ट्र में गया, तो पश्चिमी देशों ने आक्रमण को विवाद बना दिया !

  • भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने की कठोर आलोचना !

  • आस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, ब्रिटेन और अमेरिका का नाम लेकर आलोचना की गई !

नई दिल्ली – भारत में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख लंबे समय से एक विदेशी शक्ति के अवैध नियंत्रण में हैं । द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात यह सबसे लम्बी अवधि है जब कश्मीर किसी अन्य देश के नियंत्रण में रहा है । वर्ष १९४७ में भारत की स्वतंत्रता के केवल दो माह के अंदर ही पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के कुछ भागों पर नियंत्रण पा लिया। वहीं, वर्ष १९५० एवं १९६० के दशक में चीन ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण पा लिया । हम इनमें से एक आक्रमण के बारे में संयुक्त राष्ट्र गये थे । इसका रूपांतर एक विवाद में परिवर्तित हो गया । आक्रामकों एवं पीडित दोनों को समान गुण दिए गए । दोषी पक्ष कौन थे ? ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, ब्रिटेन और अमेरिका । ये देश इस आक्रमण के संबंध में अनुचित सूचना फैलाने में संलिप्त हैं । भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत की अपील की निंदा (बदनामी) तब की गई जब वास्तविक आक्रामक पाकिस्तान था । डॉ. एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सहित पश्चिमी देशों की कठोर आलोचना की । यहां आयोजित ‘रायसीना डायलॉग्स’ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वे ऐसा बोल रहे थे ।

अफगानिस्तान पर टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने पश्चिमी देशों के असंगत रवैये की भी आलोचना की । उन्होंने कहा कि दोहा (कतर) और ओस्लो (नॉर्वे) में आयोजित सम्मेलनों में जिन तालिबान नेताओं का स्वागत किया गया था, अब उन्हें ही अफगानिस्तान में बिगडती हुई परिस्थिति के लिए उत्तरदायी ठहराया जा रहा है । कभी आतंकवादी माने जाने वाले तालिबान अब ‘सूट’ और ‘टाई’ में कैसे हैं ? फिर भी, इन्हें एक गंभीर अंतर्राष्ट्रीय चिंता के रूप में देखा जाता है ।

संपादकीय भूमिका 

जयशंकर कहना चाहते हैं कि, अब आवश्यक है कि भारत सीधी कार्रवाई करे और कश्मीर को मुक्त कराए !