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न्यूयॉर्क – संयुक्त राष्ट्र के प्रधान सचिव एंटोनियो गुटेरेज द्वारा विश्व में पानी की स्थिति के विषय में प्रसारित ब्योरे के अनुसार वर्ष २०५० तक जल संकट के कारण सब से भयंकर परिणाम होनेवाले देशों की सूची में भारत का भी समावेश होगा । आगामी दशक में हिमनदियां तथा बरफ पिघलने से भारत के लिए जीवनरेखा गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा सिंधु नदियों का जलस्तर घटेगा । एशिया में १० प्रमुख नदियां हिमालय से निकलती हैं । इसलिए यदि पानी का अभाव तीव्र गति से हुआ, तो भारत, पाकिस्तान तथा चीन पर उसका प्रहार होगा । यदि हिमनदियां तीव्र गति से पिघलीं, तो भारत के साथ पाकिस्तान एवं चीन में बाढ की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है ।
'जल-संकट से सबसे ज्यादा जूझेगा भारत', UN की रिपोर्ट- 2 पड़ोसी देशों में भी मचेगी पानी की किल्लत, दुनिया की 26% आबादी स्वच्छ जल को तरसी #UN #WaterCrisis #WorldNews https://t.co/gjKqjGYw0u
— ABP News (@ABPNews) March 23, 2023
१. विश्व में २-३ अरब लोगाों को वर्ष में एक बार १ माह तो पानी के संकट का सामना करना ही पडता है । संयुक्त राष्ट्र के ब्योरे के अनुसार वर्ष २०५० तक विश्व के आधे नगरों में अनुमानत: १.७ अरब से २.४ अरब लोगों को जलसंकट का सामना करना पडेगा ।
२. २ सहस्र ५०० किमी लंबी गंगा नदी पर विविध राज्यों के अनुमानत: ४० करोड लोग निर्भर हैं । यदि इस नदी का जल स्तर घटा, तो अनेक राज्यों पर उसका प्रभाव पडेगा ।